केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 17 विजेता टीमों को भारत-अमेरिका एंडोमेंट पुरस्कार प्रदान करते हुए यह बात कही।
पुरस्कार वितरण समारोह में विजेता टीमों को मुख्य रूप से एआई-सक्षम तकनीक और क्वांटम प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए मिलकर काम करने का निर्देश दिया गया।
यहां यूएस-इंडिया साइंस एंड टेक्नोलॉजी एंडोमेंट फंड (यूएसआईएसटीईएफ) पुरस्कार समारोह में बोलते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकी (आईसीईटी) पर अमेरिका-भारत पहल के एक भाग के रूप में एक मजबूत नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए विभिन्न क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का विस्तार करने हेतु विज्ञान एजेंसियों के बीच नए कार्यान्वयन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस दौरान भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी भी उपस्थित थे।
मंत्री ने बताया कि, "कम्प्यूटर एवं सूचना विज्ञान एवं इंजीनियरिंग, साइबर-भौतिक प्रणाली तथा सुरक्षित एवं विश्वसनीय साइबर स्पेस के क्षेत्रों में डीएसटी-राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन के संयुक्त अपील के परिणामस्वरूप 11 उच्च स्तरीय प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।"
भारत और अमेरिका भविष्य के लिए एआई, उन्नत विनिर्माण, ब्लॉकचेन, हरित ऊर्जा और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी प्रौद्योगिकियों के विकास के महत्वपूर्ण बिंदु पर हैं तथा सदी के सबसे बड़े प्रौद्योगिकी परिवर्तनों में से एक के लिए तैयार हो रहे हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार “सेमीकंडक्टर्स के लिए डिजाइन से जुड़े प्रोत्साहन, ऑटोमोबाइल के लिए पीएलआई योजनाएं, ड्रोन नीति और फेसलेस मूल्यांकन जैसी पहलों के माध्यम से बाधाओं को दूर करने जैसे हालिया सुधारों के साथ एक सक्षम नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र बना रही है।”
साल 2014 में 350 स्टार्टअप थे, जो बढ़कर 1,40,000 से अधिक स्टार्टअप हो गए।
मंत्री ने बताया कि भारत में 110 से अधिक यूनिकॉर्न हैं, जिनमें से 23 पिछले साल ही उभरे हैं, जो एसटीआई (विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार) की सीढ़ी पर भारत की तेजी से बढ़ती हुई प्रगति का संकेत है।