इलेक्ट्रॉनिक्स में भारत का विस्तार अब तक असेंबली-टू-कंपोनेंट रणनीति के साथ होता आ रहा है। इसमें स्मार्टफोन और नेटवर्क से जुड़े दूसरे उपकरणों के निर्माण में निवेश आकर्षित करने के लिए टैरिफ और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों का उपयोग किया जाता है।
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के नवीनतम पूर्वानुमान के अनुसार, भारतीय बाजार में बिक्री के बढ़ते अवसरों ने इन मार्केट फोर मार्केट के साथ देश में विनिर्माण में निवेश को सही ठहराने में मदद की है।
रिपोर्ट के अनुसार, "एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के पूर्वानुमानों के अनुसार, 2024 में वस्तुओं पर भारत का उपभोक्ता खर्च 1.29 ट्रिलियन डॉलर होगा, पिछले पांच वर्षों में मुद्रास्फीति-समायोजित वृद्धि 4.8 प्रतिशत रही है, जो अगले पांच वर्षों में बढ़कर 7.0 प्रतिशत होने की उम्मीद है।"
अगले पांच वर्षों में निर्यात उद्योगों जैसे परिधान में 9.5 प्रतिशत, घरेलू उपकरण (उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक्स) में 8.8 प्रतिशत और परिवहन उपकरण में 8.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
भारत में इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कंपनियां सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बेचती हैं। खासकर स्मार्टफोन का निर्यात काफी बढ़ा है। इस वजह से, 2015 से 2024 के बीच, टेलीकॉम उपकरणों के निर्यात में हर साल 44% की बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए स्थानीय विनिर्माण के लिए सरकार की ओर से समर्थन और अपने आर्थिक हितों को सुरक्षित करने के लिए मूल नियमों का उपयोग किया जा रहा है। जिसके साथ मलेशिया, इंडोनेशिया और भारत जैसे उभरते बाजारों को निवेश आकर्षित करने में मदद मिली है और निर्यात को बढ़ावा मिला है।
भारत अगले तीन सालों में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है और 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। जेपी मॉर्गन के सरकारी उभरते बाजार बॉन्ड इंडेक्स में 2024 में शामिल होने से सरकार को अतिरिक्त फंड मिल सकता है और घरेलू पूंजी बाजार में महत्वपूर्ण संसाधन जारी हो सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, "यह केवल पहला कदम है। निवेशक बेहतर बाजार पहुंच और निपटान प्रक्रियाओं की तलाश जारी रखेंगे।"