चॉइस ब्रोकिंग के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट, जथिन कैथावलाप्पिल ने से बातचीत करते हुए कहा कि अगर रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका की सत्ता में वापस आते हैं, तो भारत सहित वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी देखी जा सकती है और ट्रम्प की जीत वैश्विक बाजारों में नए सिरे से अमेरिकी प्रभुत्व के लिए एक मंच भी तैयार कर सकती है। इसके कारण 10-वर्ष के ट्रेजरी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी हो सकती है।
भारतीय शेयर बाजारों पर अमेरिकी चुनाव के प्रभाव पर पीएचडीसीसीआई के मुख्य अर्थशास्त्री और उप महासचिव, डॉ. एसपी शर्मा ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच संबंध बहुत मधुर रहे हैं और चाहे कोई भी जीते, भारतीय अर्थव्यवस्था अपने लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत की ओर आगे बढ़ती रहेगी।
जानकारों ने कहा कि अगर ट्रम्प जीतते हैं तो "चीन+1" की रणनीति को बढ़ावा मिलेगा। इसका फायदा भारत के ऑटो इंडस्ट्री को हो सकता है। हालांकि भारतीय कंपनियों को पूरा लाभ लेने के लिए स्थानीय अमेरिकी परिचालन में निवेश करने की आवश्यकता हो सकती है।
कैथावलप्पिल ने आगे कहा कि ट्रम्प की ऊर्जा नीतियों से वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें कम हो सकती हैं, जिससे भारत को फायदा होगा। हालांकि, ट्रम्प की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति भारतीय आईटी क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है। अपने पिछले कार्यकाल में, उन्होंने एच-1बी वीजा को प्रतिबंधित करने वाली नीतियां पेश की थी, जिस पर कई भारतीय आईटी पेशेवर अमेरिका में काम करने के लिए भरोसा करते हैं।
कैथावलप्पिल ने से आगे कहा कि अगर ऐसा फिर होता है तो इसका असर भारतीय आईटी कंपनियों पर हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर डेमोक्रेटिक कमला हैरिस जीतती हैं, तो अमेरिकी शेयर बाजार पर तत्काल प्रभाव देखने को मिल सकता है, क्योंकि उनकी नीतियां वर्तमान प्रशासन की नीतियों के करीब होने की उम्मीद है।
एसकेआई कैपिटल के प्रबंध निदेशक, नरिंदर वाधवा के मुताबिक, अमेरिका में पिछले चार-पांच चुनावों के दौरान वैश्विक स्तर पर बाजारों पर दबाव रहा है।
वाधवा ने को बताया कि आज भारतीय शेयर बाजार में अच्छी रिकवरी देखने को मिली है। अमेरिकी चुनाव परिणाम घोषित होने तक वैश्विक बाजार पर आम तौर पर दबाव रहता है। जो रुझान आ रहे हैं, उसके मुताबिक ट्रंप की जीत थोड़ी संभावना नजर आ रही है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अच्छा होगा।