रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईडी ने पूरे भारत में शीर्ष ई-कॉमर्स कंपनियों की सहायक कंपनियों और विक्रेताओं पर छापे मारे हैं। करीब 24 जगहों पर ईडी द्वारा छापेमारी की गई है। इसमें दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु प्रमुख हैं।
सूत्रों के अनुसार, कथित विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) नियमों से संबंधित ईडी की जांच चल रही थी।
ईडी की छापेमारी का उद्देश्य कथित मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों से संबंधित सबूत ढूंढना है जो कि इन ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के माध्यम की जा सकती है।
ई-कॉमर्स कंपनी की ओर से फिलहाल इसे लेकर कोई बयान नहीं दिया गया है।
अमेजन और फ्लिपकार्ट को पहले भी अपने व्यापार करने के तरीके के संबंध में देश में जांच का सामना करना पड़ा है। सितंबर में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की एक जांच में कथित तौर पर पाया गया कि अमेजन और फ्लिपकार्ट ने अपने प्लेटफार्मों पर विशिष्ट विक्रेताओं का पक्ष लेकर स्थानीय प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन किया था।
बता दें, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के तहत केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) भी "डार्क पैटर्न" के उपयोग से संबंधित कई शिकायतों की जांच कर रहा है और उपभोक्ता संरक्षण कानूनों का उल्लंघन करने वाली ऑनलाइन ई-कॉमर्स कंपनियों पर कार्रवाई की योजना बना रहा है।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा "डार्क पैटर्न" के उपयोग ने भारत में विवाद पैदा कर दिया है। ये भ्रामक तकनीकें लोगों को कुछ ऐसा करने के लिए गुमराह करती हैं जो वे नहीं करना चाहते हैं, जैसे कि उन वस्तुओं या सेवाओं के लिए भुगतान करना जिन्हें वे खरीदने का इरादा नहीं रखते थे।
भारत सरकार ने हाल ही में बड़े ऑनलाइन प्लेटफार्मों द्वारा उपयोग किए जाने वाले "डार्क पैटर्न" पर अंकुश लगाने के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइन जारी किए। डिजिटल इंडिया एक्ट में यूजर्स के लिए सेफ्टी प्रावधानों के माध्यम से इंटरनेट पर "डार्क पैटर्न" को विनियमित करने और ग्राहकों को उत्पादों की नकली ऑनलाइन रिव्यू से बचाने के उद्देश्य से, सरकार ने दिशानिर्देशों का एक कॉम्प्रिहेंसिव सेट भी जारी किया है।