भारत में 2027 तक विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बनने की क्षमता : रिपोर्ट

15 नवंबर, नई दिल्ली ( आईएएनएस): । भारत की फैशन इंडस्ट्री वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद आने वाले समय में तेजी से आगे बढ़ने वाली है। देश की फैशन इंडस्ट्री में इस तेजी का कारक बढ़ता मध्यम वर्ग और घरेलू ब्रांडों के लिए बढ़ती पसंद बनेगा। एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार फैशन इंडस्ट्री का विकास देश के आर्थिक विस्तार को लेकर अहम भूमिका निभाएगा।

भारत में 2027 तक विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बनने की क्षमता : रिपोर्ट
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द बिजनेस ऑफ फैशन और मैक्किंज़े एंड कंपनी की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था में सालाना आधार पर सात प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है, जो अन्य सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से आगे है। इससे भारत 2027 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बन जाएगा, जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय फैशन ब्रांडों के लिए एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करेगा।

मैक्किंज़े फैशन ग्रोथ फोरकास्ट 2025 रिपोर्ट दिखाती है कि 2025 में भारत में लग्जरी ब्रांड को लेकर रिटेल सेल सालाना आधार पर 15 से 20 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जो कि अमेरिका में 3-5 प्रतिशत और यूरोप में 1 से 3 प्रतिशत ही बढ़ सकता है। वहीं, नॉन- लग्जरी ब्रांड को लेकर रिटेल सेल सालाना आधार पर 12 से 17 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जो कि अमेरिका में 3-4 प्रतिशत और यूरोप में 2 से 4 प्रतिशत ही बढ़ सकता है।

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रिपोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार, फैशन इंडस्ट्री को लेकर भारतीय उपभोक्ताओं के बीच घरेलू ब्रांडों के लिए बढ़ती प्राथमिकता एक बड़ा कारक है। अब 50 प्रतिशत से ज्यादा लोग घरेलू ब्रांड पसंद करते हैं, जो 2011 से 35 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। यह प्राथमिकता विशेष रूप से गैर-लग्‍जरी सेगमेंट में मजबूत बनी हुई है, जहां पारंपरिक परिधानों में विशेषज्ञता रखने वाले स्थानीय ब्रांडों की मजबूत पकड़ है।

वहीं, अंतरराष्ट्रीय ब्रांड अभी भी लग्‍जरी सेगमेंट में अपना दबदबा बनाए हुए हैं। मैंगो, डेकाथलॉन और बुलगारी जैसे ब्रांड भारत में अपनी उपस्थिति का विस्तार कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुमान है कि भारत का मध्यम वर्ग 2050 तक 1 बिलियन तक पहुंच जाएगा, जो बढ़ती डिस्पोजेबल आय के साथ एक बड़े उपभोक्ता आधार को दर्शाएगा। इसके अलावा, इस तेजी को लेकर भारत में एक युवा और ट्रेंड के प्रति सजग उपभोक्ता आधार भी अहम होगा। 35 वर्ष से कम आयु की 66 प्रतिशत आबादी नई शैलियों और ब्रांडों को अपनाने के लिए उत्सुक है।

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इसी तरह, इंटरनेट की बढ़ती पहुंच फैशन के रुझानों को तेज कर रही है और ई-कॉमर्स को बढ़ावा दे रही है। इससे ब्रांडों को उपभोक्ताओं से जुड़ने के नए तरीके मिल रहे हैं, जो फैशन इंडस्ट्री के विकास के लिए सकारात्मक माना जा रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार, "फैशन इंडस्ट्री के विकास को लेकर उच्च परिधान आयात कर, जटिल क्षेत्रीय बारीकियां और ग्राहकों को सुचारू और कुशल वितरण सुनिश्चित करना चुनौती बने रहेंगे।"

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