डेटा के मुताबिक, एक नवंबर तक के पखवाड़े में सालाना आधार पर क्रेडिट वृद्धि दर 11.9 प्रतिशत और डिपॉजिट वृद्धि दर 11.83 प्रतिशत रही है।
केंद्रीय बैंक के डेटा के मुताबिक, एक नवंबर तक बैकों के पास डिपॉजिट 220.43 लाख करोड़ रुपये था। वहीं, क्रेडिट 174.39 लाख करोड़ रुपये पर था।
इससे पहले 18 अक्टूबर को समाप्त हुए पखवाड़े में भी डिपॉजिट और क्रेडिट वृद्धि दर क्रमश: 11.7 प्रतिशत और 11.5 प्रतिशत पर समान रही थी। यह बीते 30 महीने में पहली बार था, जब क्रेडिट और डिपॉजिट वृद्धि करीब समान रही थी।
डिपॉजिट वृद्धि से क्रेडिट की विकास दर 25 मार्च, 2022 को समाप्त हुए पखवाड़े से ही अधिक थी। एक समय दोनों के बीच अंतर करीब 7 प्रतिशत तक का हो गया था।
डिपॉजिट और क्रेडिट वृद्धि दर के बीच अंतर कम होने की वजह आरबीआई द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के असुरक्षित लोन और लोन पर जोखिम नियंत्रित करने और बैंकों को उधारी व जमा अनुपात (एलडीआर) को कम करने का निर्देश था, जिससे क्रेडिट की विकास दर धीमी हुई है।
उच्च एलडीआर को कम करने के लिए देश के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक की ओर से क्रेडिट ग्रोथ को कम कर दिया है। इससे कुल क्रेडिट में कमी आएगी।
क्रेडिट ग्रोथ धीमी होने की एक वजह रेपो रेट का लंबे समय से उच्च स्तर पर होना है। फिलहाल रेपो रेट 6.50 प्रतिशत पर बना हुआ है। आरबीआई द्वारा आखिरी बार इसमें बदलाव फरवरी 2023 में किया गया है।
आरबीआई की पिछली 10 मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) की बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।