वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही में भारत का मसाला निर्यात 17,488 करोड़ रुपये (2.09 बिलियन अमेरिकी डॉलर) पहुंच गया, जो कि सालाना आधार पर 1423 करोड़ रुपये की वृद्धि को दर्शाता है। पिछले वर्ष इसी अवधि में देश का मसाला निर्यात 16,065 करोड़ रुपये (1.95 बिलियन अमेरिकी डॉलर) था। वर्ल्ड स्पाइस ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएसओ) के अध्यक्ष रामकुमार मेनन के अनुसार, भारतीय मसाला निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 4.7 बिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात लक्ष्य हासिल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
अहमदाबाद में राष्ट्रीय मसाला सम्मेलन (एनएससी) 2024 में मेनन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2024) में भारतीय मसाला निर्यात में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.8% की वृद्धि देखी गई है।
मेनन ने कहा कि 2030 तक भारत मसाला निर्यात को लेकर 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखता है। उन्होंने कहा, "इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए, भारत को लगभग 15 मिलियन टन मसालों का उत्पादन करना होगा - जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों मांगों को पूरा करेगा।"
उन्होंने भारतीय मसालों की खराब गुणवत्ता को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों को लेकर भी अपना मत रखा। इस मुद्दे पर मेनन ने कहा, "भारत से कुल मसाला निर्यात की मात्रा का 1 प्रतिशत से भी कम हिस्सा खारिज किया गया है। हालांकि कुछ अनियमितताएं पाई गई और उन्हें दूर किया गया, लेकिन सिंगापुर और मालदीव को छोड़कर अन्य देशों को हमारे निर्यात में कोई बाधा नहीं आई है।"
मसाला निर्यात पर कड़े नियमों को पूरा करने के लिए, भारतीय मसाला बोर्ड ने मसाला निर्यात खेपों के नियमित नमूने लेने और परीक्षण को अनिवार्य कर दिया है।
एनएससी 2024 के बिजनेस कमेटी हेड प्रकाश नंबूदरी ने कहा कि मसाला सेक्टर वर्तमान में अपने निर्माताओं के बीच वैल्यू एडिशन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने पाउडर, ओलियोरसिन और तेलों के निर्माण की विशाल संभावनाओं के बारे में बात की। इससे मसालों का स्वाद, शेल्फ लाइफ और मूल्य बढ़ेगा।