केंद्रीय बैंक में कार्यभार संभालने के बाद अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आईआईटी-कानपुर से ग्रेजुएट मल्होत्रा ने कहा कि वह लागत कम करने और वित्तीय सेवाओं को सर्वव्यापी बनाने के लिए प्रौद्योगिकी को और अधिक उपयोग की दिशा में काम करेंगे।
उन्होंने कहा, "इनोवेशन एक चाबी है, हमें इसके जोखिमों के बारे में भी सतर्क रहना होगा और जरूरी सुरक्षा उपाय करने होंगे।"
मल्होत्रा ने आगे कहा, "मेरा मानना है कि आरबीआई की सबसे बड़ी भूमिकाओं में से एक वित्तीय समावेशन को फैलाना है। वित्तीय समावेशन एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। भारत में वित्तीय समावेशन में बहुत प्रगति हुई है, देश के हर कोने में बैंक पहुंच गए हैं, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।"
सभी पक्षकारों के साथ बातचीत पर जोर देते हुए मल्होत्रा ने कहा, "आरबीआई समेत हर संस्था को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ज्ञान पर हमारा एकाधिकार नहीं है। परामर्श हमारी नीति निर्माण का एक और महत्वपूर्ण स्तंभ है।"
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक वित्तीय विनियामकों, राज्य सरकारों और केंद्र सहित सभी पक्षकारों के साथ बातचीत जारी रखेगा, ताकि रिजर्व बैंक की विरासत को जारी रखा जा सके।
नए आरबीआई गवर्नर ने वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक माहौल में मौजूदा अनिश्चितताओं के बीच "सतर्क" रहने की आवश्यकता पर जोर दिया।
1990 बैच के आईएएस अधिकारी संजय मल्होत्रा आरबीआई गवर्नर के रूप में नियुक्ति से पहले वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव थे।
उन्होंने आरबीआई के 26वें गवर्नर के रूप में पदभार ग्रहण किया है और केंद्रीय बैंक के प्रमुख के रूप में उनका कार्यकाल तीन साल का होगा।
उनके सामने महंगाई को नियंत्रण में रखना और विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ मजबूत होते अमेरिकी डॉलर के बीच रुपये के अवमूल्यन को रोकने के बीच बेहतरीन संतुलन बनाए रखने की चुनौती है।