रिपोर्ट में बताया गया कि बीते चार वर्षों में 'अपग्रेड' डिमांड की हिस्सेदारी सम्रग मांग में अधिक रही है। इससे डेवलपर्स को बेहतर मूल्य निर्धारण प्राप्त करने में मदद मिली है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया, "हमें लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में हाई-राइज बिल्डिंग की मांग बढ़ने के कारण डेवलपर्स के लिए बाजार में वृद्धि हुई है।"
एचएसबीसी ने एक नोट में बताया, "डेवलपर्स अपनी वित्त वर्ष 2025 की अपनी प्री-सेल्स गाइडेंस को प्राप्त करने के लिए पहली तिमाही में बड़े लॉन्च कर सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि मांग अधिक मध्य-आय स्तर पर स्थानांतरित हो जाएगी, जिसका बिक्री मूल्य और मार्जिन पर प्रभाव पड़ेगा।"
नोट में आगे बताया कि उच्च आय वर्ग की मजबूती का लाभ अर्थव्यवस्था के मध्य आय वर्ग को मिलना शुरू हो जाएगा।
बीते चार वर्षों (2021-24) में रेजिडेंशियल रियल एस्टेट प्री-सेल्स वॉल्यूम और वैल्यू 18 प्रतिशत और 31 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 2025 में रेजिडेंशियल लॉन्च में वृद्धि होने की उम्मीद है, क्योंकि 2024 में यह कमजोर थी। हालांकि,उच्च आधार होने के कारण वृद्धि दर असर होगा। अनसोल्ड इन्वेंट्री सीमित होने के कारण कीमतों पर दबाव रह सकता है। इससे प्री-सेल्स बढ़ने की संभावना है।
रिपोर्ट में कहा गया कि रियल एस्टेट कंपनियों के स्टॉक ब्याज दरों को लेकर संवेदनशील होते हैं। 2025 में ब्याज दरों में कटौती से इस सेक्टर को फायदा मिलेगा।
एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च को उम्मीद है कि एप्रूवल के मुद्दे सुलझने और 2025 में बिक्री की गति बढ़ने के साथ लॉन्च की गति में तेजी आएगी।