वित्त वर्ष 2024 में देश का स्मार्टफोन निर्यात 15 अरब डॉलर से अधिक था (जिसमें एप्पल का हिस्सा करीब 10 अरब डॉलर था)। इंडस्ट्री के अनुमानों के अनुसार, इस वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 20 अरब डॉलर को पार कर सकता है।
प्रीमियमाइजेशन के बढ़ चल रहे चलन और स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग पर जोर के कारण भारत से निर्यात करने वाली कंपनियों में एप्पल और सैमसंग सबसे आगे हैं। भारतीय स्मार्टफोन बाजार भी तेजी से विकसित हो रहा है, जिसमें मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) ब्रांड इक्विटी को मजबूत करने, तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन करने और मुनाफे में सुधार करने के लिए प्रीमियम लॉन्च पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
सरकार द्वारा घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ने के लिए लाई गई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम से मिल रहे फायदों के कारण दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी एप्पल का भारत से आईफोन निर्यात कैलेंडर ईयर 2024 में 1 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को छू गया है।
सरकार डेटा के मुताबिक, पिछले चार वर्षों में, एप्पल इकोसिस्टम ने 1,75,000 नई प्रत्यक्ष नौकरियां भी पैदा की हैं, जिनमें से 72 प्रतिशत से अधिक पद महिलाओं द्वारा भरे गए हैं।
2014-15 में घरेलू मोबाइल फोन का उत्पादन 5.8 करोड़ यूनिट था, जो 2023-24 में बढ़कर 33 करोड़ यूनिट हो गया, जबकि आयात में बड़ी गिरावट आई। वहीं, निर्यात पांच करोड़ यूनिट तक पहुंच गया और एफडीआई में 254 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो मैन्युफैक्चरिंग और निवेश को बढ़ावा देने में पीएलआई योजना की भूमिका को दर्शाता है।
देश में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में 2027 तक 1.2 करोड़ नौकरियां पैदा होने का अनुमान है। इसमें से 30 लाख प्रत्यक्ष और 90 लाख प्रत्यक्ष नौकरियां होंगी।
टीमलीज डिग्री अप्रेंटिसशिप की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों में लगभग 10 लाख इंजीनियरों, 20 लाख आईटीआई-प्रमाणित पेशेवरों और एआई, एमएल एवं डेटा साइंस जैसे क्षेत्रों के 2 लाख पद शामिल हैं।
इसके अलावा नॉन-टेक्निकल्स क्षेत्रों में 90 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री ने 2030 तक 500 अरब डॉलर की मैन्युफैक्चरिंग हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए इंडस्ट्री को अगले पांच वर्षों में अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता में पांच गुना वृद्धि करनी होगी।
वर्तमान में घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 101 बिलियन डॉलर है, जिसमें मोबाइल फोन का योगदान 43 प्रतिशत है, इसके बाद उपभोक्ता और औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स का योगदान 12 प्रतिशत है और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत हैं।