नई दिल्ली, 22 जनवरी ( आईएएनएस): । भारतीय सेना के एक जवान की पत्नी लंबे समय से हृदय प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रही थी। सैनिक की पत्नी को अब नया जीवन मिला है। उसके ऑपरेशन के साथ ही भारतीय सेना को भी मेडिकल के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि हासिल हुई है। यह उपलब्धि दिल्ली कैंट स्थित आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) ने हासिल की है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक आर्मी हॉस्पिटल ने 'हार्टमेट 3 डिवाइस' का उपयोग करके भारत का पहला लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (एलवीएडी) प्रत्यारोपण किया है। रक्षा मंत्रालय का मानना है कि जहां इससे पीड़ित महिला को एक नया जीवन मिला है, वहीं यह सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवाओं के लिए भी ऐतिहासिक व पहला कदम है। यह पूरी प्रक्रिया सशस्त्र सेना के एक वरिष्ठ सैनिक की 49 वर्षीय पत्नी पर सफलतापूर्वक की गई, जो दो साल से अधिक समय से हृदय प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रही थी।
उपचार प्रक्रिया से जुड़े वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के मुताबिक एलवीएडी, जिसे अक्सर 'मैकेनिकल हार्ट' के रूप में जाना जाता है, हार्ट फेल के अंतिम चरण के रोगियों के लिए यह जीवन रक्षक के रूप में काम करता है। सेना के विशेषज्ञों का कहना है कि हार्टमेट 3 एलवीएडी एक अत्याधुनिक उपकरण है, जो हृदय की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग करता है। यह गंभीर हृदय संबंधी स्थितियों वाले रोगियों को आशा की किरण प्रदान करता है। वर्तमान में रोगी चिकित्सा देखरेख में लगातार ठीक हो रही है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह उच्च गुणवत्ता वाली टीम वर्क की सफलता को दर्शाता है। इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय का यह भी मानना है कि सेना के अस्पताल द्वारा अर्जित की गई यह उपलब्धि आर्मी हॉस्पिटल की चिकित्सा देखभाल में उत्कृष्टता के लिए निरंतर प्रयास को दर्शाती है। साथ ही यह मील का पत्थर आर्मी हॉस्पिटल (आर एंड आर) की उन्नत चिकित्सा देखभाल प्रदान करने में अग्रणी भूमिका की पुष्टि करता है।
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Courtesy Media Group: IANS