सबसे पहले, दक्षिणी ध्रुव में छिनलिंग स्टेशन पर सीरियल इंस्टॉलेशन और उपकरण बनाए जाएंगे। मुख्य भवन की संरचना और आंतरिक सजावट पूरी की जाएगी। फिर, पहली बार सर्दी बिताने के लिए एक वैज्ञानिक अभियान चलाया जाएगा।
दूसरा, दक्षिणी ध्रुव की पारिस्थितिकी प्रणाली पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और प्रतिक्रिया पर एक सर्वेक्षण किया जाएगा। चीन के आइसब्रेकिंग जहाजों शुएलॉन्ग (स्नो ड्रैगन) और शुएलॉन्ग-2 की मदद से कई महासागरों के आसपास के समुद्री क्षेत्रों में व्यापक सर्वेक्षण और निगरानी की जाएगी। कई वैज्ञानिक अभियान स्टेशनों पर भरोसा करते हुए, समुद्री पर्यावरण, भूमि पर्यावरण, भूवैज्ञानिक पर्यावरण आदि की जांच की जाएगी।
तीसरा, वैज्ञानिक अनुसंधान और परिवहन गारंटी में व्यापक अंतरराष्ट्रीय सहयोग किया जाएगा। नॉर्वे और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ हवाई सर्वेक्षण मिशन चलाए जाएंगे। इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, इटली, दक्षिण कोरिया, रूस और चिली जैसे देशों के साथ माल ढुलाई गारंटी को लेकर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग जारी रहेगा।
गौरतलब है कि मौजूदा वैज्ञानिक अभियान करीब सात महीने तक चलेगा। 500 से अधिक सदस्यों वाली यह टीम मई 2025 में चीन वापस लौटेगी।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)