यूएस चुनाव: 235 साल, 15 उपराष्ट्रपति बने राष्ट्रपति, एक भी महिला नहीं, हैरिस बदलेंगी परंपरा

वाशिंगटन, 5 नवंबर ( आईएएनएस): । अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का 235 वर्षों का इतिहास कई दिलचस्प तथ्यों से भरा है। इस बार डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से कमला हैरिस की दावेदारी ने इस चुनाव को बेहद खास बना दिया है। अगर वह चुनाव जीततीं तो कई नए एतिहासिक रिकॉर्ड अपने नाम कर सकती हैं।

यूएस चुनाव: 235 साल, 15 उपराष्ट्रपति बने राष्ट्रपति, एक भी महिला नहीं, हैरिस बदलेंगी परंपरा
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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के 235 वर्षों के इतिहास में कभी कोई महिला विजेता नहीं बन सकी। अधिकांश इतिहासकार और लेखक मानते हैं कि विक्टोरिया वुडहुल 1872 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने वाली पहली महिला थीं। हालांकि कुछ लोग इस दावे पर सवाल भी उठाते हैं।

आखिरी बार 2016 में हिलेरी क्लिंटन पद के काफी नजदीक पहुंच कर भी हार गई। उन्हें ट्रंप से करीब 28 लाख अधिक पापुलर वोट मिले लेकिन चुनाव ट्रंप ने जीता क्योंकि उन्होंने इलेक्टोरल कॉलेज का बहुमत प्राप्त कर लिया।

इस बार कमला हैरिस अगर चुनाव जीतती हैं तो वह पहली महिला राष्ट्रपति होने का गौरव हासिल कर सकती हैं। इसके अलावा वह दूसरी ब्लैक शख्स और पहली ब्लैक महिला होंगी जो इस पद पर बैठेंगी। साथ वह पहली एशियन अमेरिकन और भारतीय अमेरिकन होंगी जो व्हाइट हाउस में पहुंचेंगी।

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अब तक पंद्रह राष्ट्रपति ऐसे रहे हैं जो कि उपराष्ट्रपति के रूप में देश को अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इनमें से छह - जॉन एडम्स (1796), थॉमस जेफरसन (1800), मार्टिन वैन ब्यूरन (1836), रिचर्ड निक्सन (1968), जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश (1988), और जो बिडेन (2020) - ने चुनाव जीतने के बाद अपना पहला कार्यकाल शुरू किया।

जबकि बाकी नौ ने, अपने पूर्ववर्ती की कार्यकाल के दौरान मृत्यु या इस्तीफे के बाद (उत्तराधिकार नियमों के अनुसार) प्रेसिडेंट के रूप में अपना पहला कार्यकाल शुरू किया। इनमें से थियोडोर रूजवेल्ट, केल्विन कूलिज, हैरी एस. ट्रूमैन और लिंडन बी. जॉनसन बाद में राष्ट्रपति चुने गए, जबकि जॉन टायलर, मिलार्ड फिलमोर, एंड्रयू जॉनसन, चेस्टर ए. आर्थर और गेराल्ड फोर्ड नहीं चुने गए।

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अगर कमला हैरिस चुनाव जीतती हैं तो वह 16वीं उपराष्ट्रपति होंगी जो राष्ट्रपति के तौर पर काम करेंगी।

फिलहाल अधिकांश सर्वों में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर बताई गई है। तमना पर्यवेक्षकों की राय यही बताती है कि चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।

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Courtesy Media Group: IANS

 

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