हालांकि अभी तक किसी भी ग्रुप ने हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है। लेकिन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) क्षेत्र में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निशाना बना रहा है।
माना जाता है कि पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान में तालिबान शासन की वापसी के बाद टीटीपी को नया जीवन मिला है। ग्रुप के शीर्ष कमांडरों को अफगानिस्तान की जेलों से रिहा कर दिया गया। इससे ग्रुप को पाकिस्तान के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में फिर से संगठित होने और पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों पर हमले करने का मौका मिल गया।
इस बीच पाकिस्तानी सशस्त्र बलों ने खुफिया जानकारी आधारित अभियान (आईबीओ) चलाए। सशस्त्र बलों ने दक्षिण वजीरिस्तान के साथ-साथ अन्य पूर्व कबायली क्षेत्रों में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें दर्जनों आतंकवादी मारे गए।
हालांकि अफगान तालिबान ने शांति वार्ता शुरू करने की बात कह चुका है लेकिन पाकिस्तान ने इसकी किसी भी संभावना से इनकार किया है। इसके बजाय इस्लामाबाद ने काबुल से अपील की है कि वह टीटीपी और उसके सहयोगी समूहों को सेफ ऑपरेटिंग एरिया प्रदान करना बंद कर दे।
पाकिस्तान में आतंकवादियों ने चीन के नागरिकों को भी निशाना बनाया है। चीनी नागरिक चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) से संबंधित परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।
बीजिंग ने अपने नागरिकों पर लगातार हो रहे हमलों पर गंभीर चिंता जताई है और पाकिस्तान से देश में काम कर रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाने की अपील की है।