सीएनएन के अनुसार अमेरिका और कतर के सूत्रों ने बताया कि फिलिस्तीनी ग्रुप को इजरायल-हमास युद्ध में सीजफायर और बंधकों की रिहाई के समझौते के लिए मनाने की कई नाकाम कोशिशों के बाद यह कदम उठाया गया।
एक वरिष्ठ प्रशासन अधिकारी ने बताया, "हमास एक आतंकवादी समूह है जिसने अमेरिकियों को मारा है और कई को बंधक बनाकर रखा है। बंधकों को रिहा करने के प्रस्तावों को बार-बार खारिज करने के बाद, इसके नेताओं का अब किसी भी अमेरिकी साझेदार की राजधानियों में स्वागत नहीं किया जाना चाहिए।"
हालांकि हमास ने कतर की ओर से फिलिस्तीनी ग्रुप के अधिकारियों को दोहा से निष्कासित करने पर सहमति जताने की खबरों को 'निराधार" और 'दबाव की रणनीति' बताया।
हमास ने कहा कि इस तरह के दावे पहले भी मीडिया में बिना किसी सबूत के किए जाते रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक हमास के अधिकारी ने शनिवार को कहा, 'इजरायली मीडिया में दावा किया गया कि कतर ने अमेरिका के अनुरोध के बाद दोहा से हमास को बाहर निकालने पर सहमति जताई है। हालांकि इसका कोई आधार नहीं है और यह केवल दबाव बनाने की रणनीति है। इसे बिना किसी सबूत के दोहराया गया है।"
अमेरिकी अधिकारी कतर से कहते रहै हैं कि वह हमास के साथ समझौते की चर्चा में निष्कासन की धमकी का लाभ उठाए।
हाल ही में अमेरिकी-इजरायली बंधक हर्श गोल्डबर्ग-पोलिन की मौत और हमास द्वारा एक और युद्धविराम प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद कतर फिलिस्तीनी ग्रुप को बाहर निकालने पर राजी हुआ।
पिछले एक साल से इजरायल-हमास युद्ध में सीजफायर करवाने के लिए कतर एक प्रमुख खिलाड़ी रहा है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि फिलिस्तीनी ग्रुप के सीनियर मेंबर्स दोहा में रहते हैं। इसी वजह से कतर की राजधानी में प्रमुख वार्ताएं हुई हैं।
हमास के कार्यकर्ताओं को कतर से कब निर्वासित किया जाएगा और वे कहां जाएंगे - यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि एक अमेरिकी अधिकारी ने दावा किया कि समूह को देश छोड़ने के लिए अधिक समय नहीं दिया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी गर्मियों में कतर से कहा कि वह हमास को चेतावनी दे कि अगर ग्रुप गाजा में युद्ध रोकने के लिए सहमत नहीं होता है, तो उन्हें दोहा से बाहर निकाला जा सकता है।
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