कोरियाई-यूएस सीनेटर ने कहा, ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति का मतलब सिर्फ अमेरिका नहीं होना चाहिए

वाशिंगटन, 15 नवंबर ( आईएएनएस): । कोरियाई-अमेरिकी सीनेटर एंडी किम ने नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसका मतलब 'केवल अमेरिका' तक सीमित नहीं होना चाहिए।

कोरियाई-यूएस सीनेटर ने कहा, ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति का मतलब सिर्फ अमेरिका नहीं होना चाहिए
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कांग्रेस के ऊपरी सदन में चुने गए पहले कोरियाई-अमेरिकी किम ने 'तटस्‍थतावादी' विदेश नीति के खिलाफ अपनी राय जाहिर की। इस के साथ ही उन्होंने साउथ कोरिया और अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत करने में भूमिका निभाने इच्छा जताई।

कोरियाई अमेरिकियों की परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद उन्होंने योनहाप समाचार एजेंसी से कहा, 'मैं सबसे पहले यही कहूंगा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में 'तटस्‍थतावादी' नीति ना हो।'

किम ने आगे कहा, 'मैं उन कुछ लोगों से चिंतित हूं जिन्हें ट्रंप ने नामित किया है। ये वे लोग हैं जो गठबंधनों का सम्मान नहीं करते हैं और वे अमेरिका-कोरिया संबंधों की उस तरह से इज्जत नहीं करेंगे जिस तरह से की जानी चाहिए।' उन्होंने बताया कि उन्हें इस मामले पर टिप्पणी करने में सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि वे सीनेटर के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद ट्रंप के नामित लोगों पर वोट करेंगे।

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सीनेटर ने कहा, 'मैं अभी पूरी जानकारी नहीं दूंगा, लेकिन जैसा कि आप जानते हैं, लेकिन मुझे चिंता है कि वे किस तरह की विदेश नीति को आगे बढ़ाएंगे। हमें यह सुनिश्चित करने की जरुरत है कि जिस 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के बारे में वे बात करते रहते हैं...उसका मतलब केवल अमेरिका नहीं होना चाहिए।'

किम ने इस बात पर भी जोर दिया कि 'सीनेटर के रूप में, अमेरिका के गठबंधनों में उनकी भूमिका होगी। उन्होंने कहा, 'मेरा इसमें रोल है। मेरा मतलब है कि यह संविधान में है। मुझे उम्मीद है कि मैं अमेरिका-साउथ कोरिया संबंधों को मजबूत करने, एशिया, देशभर और दुनिया भर में अमेरिकी प्रयासों में सकारात्मक भूमिका निभा सकता हूं।'

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ट्रंप ने कैबिनेट और अन्य पदों के लिए नामों की घोषणा की है, इसमें विदेश मंत्री और पेंटागन प्रमुख शामिल हैं। ।

एक बार पुष्टि हो जाने के बाद, उनके द्वारा नामित लोगों से ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' विदेश नीति को आगे बढ़ाने की उम्मीद की जाती है। इसके तहत अमेरिका के मित्र देशों और साझेदारों से साझा सुरक्षा जिम्मेदारियों के लिए और अधिक कोशिश करने तथा विदेशों में अमेरिकी भागीदारी को कम करने की अपील की जाएगी।

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