ढाका में स्थानीय मीडिया ने शुक्रवार को बताया कि 'बांग्लादेश वित्तीय खुफिया इकाई' (बीएफआईयू) ने इस्कॉन बांग्लादेश से जुड़े 17 व्यक्तियों के बैंक खातों को 30 दिनों के लिए फ्रीज करने का आदेश दिया है। इसमें जेल में बंद इसके नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी भी शामिल हैं।
रिपोर्टों से पता चला है कि देश के कई बैंकों और वित्तीय संस्थानों को खातों से एक महीने के लिए सभी लेन-देन को निलंबित करने का सरकारी निर्देश भेजा गया है।
दास को सोमवार को ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) ने हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया था और एक दिन बाद जेल भेज दिया गया था। दास के अलावा बांग्लादेश सरकार द्वारा निशाना बनाए गए अन्य 16 हिंदुओं में कार्तिक चंद्र डे, अनिक पाल, सरोज रॉय, सुशांत दास, विश्व कुमार सिंघा, चंदिदास बाला, जयदेव करमाकर, लिपि रानी करमाकर, सुधामा गौर दास, लक्ष्मण कांति दास, प्रियतोष दास, रूपन दास, रूपन कुमार धर, आशीष पुरोहित, जगदीश चंद्र अधिकारी और साजल दास शामिल हैं।
बांग्लादेश के एक प्रमुख बंगाली अखबार प्रोथोम अलो की रिपोर्ट के अनुसार, "बीएफआईयू के पत्र में कहा गया है कि 'धन शोधन निवारण अधिनियम-2012' की धारा 23(1)(सी) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत इस्कॉन और उसके संबंधित पक्षों तथा उनके स्वामित्व वाली संस्थाओं के नाम पर रखे गए खातों (आयात और निर्यात कंपनियों के खातों को छोड़कर) के लेनदेन को 30 दिनों के लिए निलंबित करने का आदेश दिया गया है। साथ ही, 'बीएफआईयू' ने सभी खातों की लेखा संबंधी जानकारी, जैसे खाता खोलने का फॉर्म, केवाईसी फॉर्म, अप-टू-डेट लेन-देन विवरण आदि, अगले तीन कार्य दिनों के अंदर भेजने को कहा है।"
'सनातन जागरण जोत' के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास पर पिछले महीने चटगांव में भगवा झंडा फहराने के लिए देश के झंडे का कथित रूप से अपमान करने के लिए बांग्लादेशी अधिकारियों द्वारा देशद्रोह का आरोप लगाया गया है।
देश में बांग्लादेशी हिंदुओं के सड़कों पर उतरने के बाद दास को मंगलवार को चटगांव की एक अदालत में पेश किया गया और बाद में जेल भेज दिया गया। इसी समय, न्यायालय भवन में हिंसा भड़क उठी, जिसके कारण 32 वर्षीय अधिवक्ता सैफुल इस्लाम अलिफ की मृत्यु हो गई। बांग्लादेश में कट्टरपंथी अब दास के समर्थकों को अधिवक्ता की मृत्यु के लिए दोषी ठहरा रहे हैं, जबकि इस्कॉन और अन्य हिंदू संगठनों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि न्यायालय परिसर में उस दिन हुए उपद्रव में कोई हिंदू शामिल नहीं था।