शिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, बयान में कहा गया है कि शुक्रवार को किया गया यह हमला "दक्षिणी लेबनान में आतंकवादी गतिविधि और हिजबुल्लाह के पोर्टेबल रॉकेट लॉन्चर की गतिविधि की पहचान होने के बाद किया गया।
यह हमला लेबनान में इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष विराम लागू होने के बावजूद हुआ। बुधवार को दोनों के बीच लगभग 14 महीने से चल रहे संघर्ष को खत्म करने वाले समझौते का ऐलान हुआ था।
बयान में यह भी कहा गया है कि दक्षिणी लेबनान में आईडीएफ सैनिक तैनात हैं, जो इजरायल को खतरे में डालने वाले किसी भी खतरे को दूर करने के लिए काम कर रहे हैं और संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हैं।
इससे पहले शुक्रवार को, आईडीएफ ने दक्षिणी लेबनान के 63 गांवों के निवासियों को अगले नोटिस तक अपने घरों में वापस न लौटने की चेतावनी दी थी। आईडीएफ के प्रवक्ता अविचाय एड्राई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रतिबंधित क्षेत्र को दर्शाने वाला एक नक्शा पोस्ट किया, जहां ये गांव स्थित हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि इस क्षेत्र में प्रवेश करने वाला कोई भी व्यक्ति खतरे में पड़ सकता है।
यह क्षेत्र लगभग 120 किलोमीटर लंबा और 3 किलोमीटर चौड़ा है, जो पश्चिम में नकौरा से लेकर पूर्व में शेबा तक फैला हुआ है।
बता दें कि इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट ने मंगलवार रात लेबनान में हिजबुल्लाह के साथ युद्ध विराम समझौते को मंजूरी दे दी थी। बुधवार को इसका ऐलान किया गया। युद्ध विराम समझौते के अनुसार, लेबनानी सेना अगले 60 दिनों में दक्षिणी सीमा क्षेत्रों पर नियंत्रण कर लेगी, इजरायल धीरे-धीरे पीछे हटेगा और नागरिक घर लौट आएंगे।