पार्टी ने पंजाब विधानसभा में पीटीआई पर प्रतिबंध की मांग को लेकर एक प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाने के बाद सरकार से विपक्षी दल को मुख्यधारा में लाने के लिए कदम उठाने की अपील की। बता दें बलूचिस्तान प्रांतीय विधानसभा में पीटीआई पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया जा चुका है।
द डॉन रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब पीपीपी महासचिव सैयद हसन मुर्तजा ने कहा, "हम पीटीआई पर प्रतिबंध लगाने या उसे दरकिनार करने के पक्ष में नहीं हैं। बल्कि, सरकार को पीटीआई को राष्ट्रीय मुख्यधारा में लाने की पहल करनी चाहिए।"
मुर्तजा ने शुक्रवार को एक प्रेस सम्मेलन में कहा, "पीटीआई पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में हमारे साथ कोई चर्चा नहीं हुई है। जब वे (सरकार) हमसे संपर्क करेंगे, तो हम पूरे संदर्भ पर विचार करते हुए निर्णय लेंगे।” उन्होंने कहा कि सरकार को कोई भी नकारात्मक रणनीति अपनाने के बजाय पीटीआई को नए सिरे से बातचीत की पेशकश के जरिए शामिल करना चाहिए।
इससे पहले प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक कैबिनेट बैठक के दौरान कहा कि पीटीआई के विरोध और राजधानी इस्लामाबाद में अराजकता ने पाकिस्तान की छवि को धूमिल किया है।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा, "पाकिस्तान की छवि हर जगह धूमिल हुई है। पिछले आठ महीनों में पीटीआई द्वारा संघीय राजधानी पर यह तीसरा या चौथा हमला है। देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है क्योंकि एक अनुमान के अनुसार इस तरह के विरोध प्रदर्शनों से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को प्रतिदिन 190 अरब रुपये का नुकसान होता है।"
इस बीच इस्लामाबाद में पीटीआई के नेतृत्व में सरकार विरोधी प्रदर्शन और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई के बाद आरोप-प्रत्यारोप की जंग शुरू हो गई है। एक और जहां सरकार का दावा है कि उसकी कार्रवाई में कोई हताहत नहीं हुआ वहीं पीटीआई अपने कई कार्यकर्ताओं के मारे जाने का दावा कर रही है।
बता दें 26 नवंबर को इस्लामाबाद में सुरक्षा बलों और पीटीआई समर्थकों के बीच तीखी झड़पें हुईं। यह तब हुआ जब पीटीआई समर्थकों ने पार्टी के ‘अंतिम आह्वान’ के लिए भारी बैरिकेडिंग वाले डी-चौक की ओर कदम बढ़ाया, प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए तीव्र आंसू गैस के गोले दागे गए।
सरकार द्वारा देर रात की गई कार्रवाई के बाद पीटीआई के शीर्ष नेतृत्व और समर्थकों को जल्दबाजी में पीछे हटना पड़ा, जिसके बाद पार्टी ने अचानक अपना विरोध आंदोलन स्थगित कर दिया।