जिनेवा, 21 दिसंबर ( आईएएनएस): । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में बताया है कि इन्फ्लूएंजा ए (एच5एन1) वायरस का खतरा फिलहाल दुनिया भर में कम है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) और विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूओएएच) के सहयोग से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक मूल्यांकन के बाद बताया है कि मानव संक्रमण मुख्य रूप से संक्रमित पशुओं या दूषित वातावरण के संपर्क में आने से होता है।
इसके मामलों में वृद्धि के बावजूद, कुल संख्या कम बनी हुई है, जिसका दुनिया के सार्वजनिक स्वास्थ्य पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ा है। हालांकि, जानवरों से जानवरों में संक्रमण जारी है, खास तौर पर उन क्षेत्रों में जहां प्रभावी निवारक उपायों का अभाव है। इससे संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने वाले खेत मजदूरों और अन्य लोगों को विभिन्न प्रकार के खतरों का सामना करना पड़ता है।
इसी साल 17 दिसंबर को जिनेवा में आयोजित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान, विश्व स्वास्थ्य संगठन, एफएओ और डब्ल्यूओएएच के विशेषज्ञों ने वैश्विक एच5एन1 स्थिति का विस्तार से वर्णन किया तथा वायरस के संभावित विकास के बारे में चेतावनी दी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की उभरती बीमारियों की विशेषज्ञ मारिया वान केरखोव ने बताया कि 2024 तक एच5एन1 संक्रमण के 76 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इन मामलों में से 61 मामले सिर्फ अमेरिका के हैं, जो मुख्य रूप से कृषि से जुड़े कार्य करने वाले लोगों में पाए गए हैं।
हालांकि एच5एन1 मुख्य रूप से पोल्ट्री वायरस है, जिसके मानव-से-मानव फैलाव का कोई सबूत नहीं मिला है, लेकिन वैन केरखोव ने आगाह किया कि यह वायरस तेजी से अपने आप को ढाल सकता है।
मानव संक्रमण के अलावा, अमेरिका ने वन्यजीवों और पोल्ट्री में व्यापक एच5एन1 प्रकोप की सूचना दी है, साथ ही 15 राज्यों में डेयरी मवेशियों में हाल ही में संक्रमण की जानकारी दी है।
एफएओ में वरिष्ठ पशु स्वास्थ्य अधिकारी मधुर ढींगरा ने वैश्विक पोल्ट्री उद्योगों पर महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव पर जोर दिया, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य और पोषण सुरक्षा को खतरा है। पोल्ट्री के अलावा, वायरस ने 500 से अधिक पक्षी प्रजातियों और 70 स्तनधारी प्रजातियों को संक्रमित किया है। इसमें कैलिफोर्निया कोंडोर और ध्रुवीय भालू जैसे लुप्तप्राय जानवर शामिल हैं, जो व्यापक पारिस्थितिकी परिणामों को रेखांकित करता है।
Courtesy Media Group: IANS