डीपी का कहना है कि सू ने महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक येओल और प्रथम महिला किम कियोन ही, को निशाना बनाने वाले दो विशेष सलाहकार विधेयकों को पारित करने से इनकार कर दिया।
कानून के अनुसार, महाभियोग प्रस्ताव को पूर्ण सत्र में रिपोर्ट किए जाने के 24 से 72 घंटों के भीतर मतदान के लिए रखा जाना चाहिए। राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों के लिए साधारण बहुमत चाहिए होता है।
योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार सत्तारूढ़ पीपुल्स पावर पार्टी का कहना है कि कि जब वोट की बात आती है तो कार्यवाहक राष्ट्रपति को प्रेसिडेंट माना जाना चाहिए। हालांकि डीपी ने इसका विरोध किया और कहा कि सू को प्रधानमंत्री के रूप में देखा जाना चाहिए।
डीपी ने यह फैसला हान के नेतृत्व में हुई कैबिनेट की बैठक के कुछ घंटों बाद लिया। बैठक दो विधेयकों की समीक्षा किए बिना ही समाप्त कर दी गई। इन विधायकों को यून द्वारा अल्पकालिक मार्शल लॉ लागू करने और किम से संबंधित भ्रष्टाचार के आरोपों की विशेष वकील जांच की मांग की गई थी।
बता दें राष्ट्रपति यून ने 03 दिसंबर की रात को दक्षिण कोरिया में आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की, लेकिन बुधवार को संसद द्वारा इसके खिलाफ मतदान किए जाने के बाद इसे निरस्त कर दिया गया।
मार्शल लॉ कुछ घंटों के लिए ही लागू रहा। हालांकि चंद घटों के लिए लागू हुए मार्शल लॉ ने देश की राजनीति को हिला कर रख दिया।
नेशनल असेंबली ने 14 दिसंबर को राष्ट्रपति यून सुक-योल के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित किया था। यह प्रस्ताव 03 दिसंबर की रात को मार्शल लॉ लागू करने के लिए उनके खिलाफ लाया गया था। अब सभी की निगाहें संवैधानिक न्यायालय पर टिकी हैं, जो राष्ट्रपति यून सूक योल के महाभियोग पर अंतिम फैसला लेगा।
यून की जगह प्रधानमंत्री हान डक-सू ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाल रहे हैं।