नई दिल्ली, 21 दिसंबर ( आईएएनएस): । कांचनार गुग्गुल ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है जो महिलाओं की कई समस्याओं को सहजता से हल करती है। यह हार्मोनल असंतुलन को ठीक करती है। इसके साथ अगर त्रिफला का प्रयोग किया जाए तो सोने पर सुहागा वाली कहावत चरितार्थ होती है। यह महिलाओं में होने वाले फाइब्रॉएड (रसौली) के उपचार में भी काम आता है।
आयुर्वेदाचार्य कुणाल शंकर के मुताबिक, आयुर्वेद स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करने की बात करता है। वैद्य कुणाल कहते हैं, "आयुर्वेद मानता है कि हमारा शरीर पंच महाभूतों का मिश्रण है। जल, वायु, आकाश, पृथ्वी और अग्नि से। पित्त बढ़ने का कारण जल और आकाश तत्व में संतुलन न होना होता है। आकाश तत्व स्पेस या विस्तार (खालीपन) से तो जल तत्व मन से संबंधित है। दोनों के तार नहीं जुड़ते हैं तो शरीर में दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। सभी बीमारियों की जड़ में आपकी मानसिक स्थिति होती है। दिल में बात छुपाने से जल तत्व प्रभावित होता है और यही बीमारी का कारण बनता है।"
फाइब्रॉएड के दौरान पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग, लंबे समय तक पीरियड होना, पेल्विक दर्द, जल्दी-जल्दी पेशाब आना, कब्ज, पीठ दर्द और पैर दर्द जैसे लक्षण दिख सकते हैं। समय रहते इसका निदान और उपचार हो तो छुटकारा आसान है।
वैद्य कुणाल के अनुसार, ऐसे में कांचनार गुग्गुल लाभकारी हो सकता है। कांचनार जिसका मतलब ही है काटने वाला। यानि आपकी परेशानियों को हरने वाला। कांचनार गुग्गल को पारंपरिक क्लासिक पॉलीहर्बल फॉर्मूलेशन भी कहते हैं। कांचनार गुग्गुल के सेवन से समस्या पर ब्रेक लगा सकता है।
कांचनार गुग्गुल एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है जो हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने में मददगार है। कांचनार गुग्गुल कई औषधियों से मिलकर बनता है। इसमें कचनार की छाल, अदरक, काली मिर्च, पीपली, हरिटकी जैसे हर्ब शामिल होते हैं। आयुर्वेद में फाइब्रॉएड को सिकुड़ाने के लिए कांचनार गुग्गुल का उपयोग किया जाता है।
इसके साथ त्रिफला लेने की सलाह दी जाती है।
एनसीबीआई में प्रकाशित एक स्टडी भी आयुर्वेद का लोहा मानती है। साल 2014 में छपी इस स्टडी के मुताबिक त्रिफला गर्भाशय में होने वाले फाइब्रॉयड में फायदेमंद साबित हो सकता है।
दरअसल, त्रिफला में मौजूद एंटीनोप्लास्टिक एजेंट फाइब्रॉइड पर असरदार होता है। इसे आप पाउडर या काढ़े के रूप में ले सकते हैं।
इसके अलावा पंचकर्म से भी इसे ठीक किया जा सकता है।
इसके साथ ही आयुर्वेदाचार्य ने बताया कि उपचार चिकित्सक की सलाह पर लें, लेकिन एक बात का हमेशा ध्यान रखें - मन को प्रसन्न रखें। मन मस्तिष्क में चल रही परेशानियों को दबाएं नहीं साझा करें। महिलाएं अगर ऐसा करेंगी तो काफी हद तक रसौली जैसी दिक्कतों से मुक्ति पा लेंगी।
Courtesy Media Group: IANS