राज्यपाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, "यदि हमने परिवार में मां-बहन की चिंता नहीं की तो यह समस्या ऐसी है कि इसका कोई इलाज भी नहीं है। इसलिए भारत सरकार ने यह अभियान शुरू कर एक अच्छा काम किया है, क्योंकि हमारी अगली पीढ़ी कैसी होगी, यह इस अभियान पर काफी हद तक निर्भर करता है। आज के दौर में स्वस्थ मन, सशक्त शरीर और उचित पोषण जरूरी है।"
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कार्यक्रम के दौरान कहा, "सातवें राष्ट्रीय पोषण माह का समापन आज झारखंड में किया गया है। इसकी शुरुआत महात्मा गांधी की धरती गुजरात से की गई थी और समापन भगवान बिरसा मुंडा की भूमि झारखंड पर हो रहा है। पोषण माह के माध्यम से जागरूकता और खान-पान में कैसे सुधार किया जा सके, इसके लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।"
उन्होंने कहा, "एक महीने तक चले सातवें राष्ट्रीय पोषण माह के तहत लगभग 12 करोड़ गतिविधियां हुईं। प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी ने साल 2018 में इसकी शुरुआत की थी। उनका उद्देश्य था कि पोषण माह को जन आंदोलन बनाना है, जो अब काफी हद तक सफल साबित होता दिखाई दे रहा है। आपने देखा होगा कि पोषण माह के जरिए लोगों में जागरूकता बढ़ी है और उनके खान-पान में भी बड़ा सुधार हुआ है।"
अन्नपूर्णा देवी ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सफल प्रयासों की वजह से यह आंदोलन काफी बड़ा बनकर उभरा है, जो आगे भी ऐसे ही चलता रहेगा।
इस मौके पर 11 हजार सक्षम आंगनवाड़ी केंद्रों का ऑनलाइन उद्घाटन भी किया गया। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा, "इसे शुरू करने के पीछे यही उद्देश्य है कि आंगनवाड़ी केंद्र के अंदर पोषण वाटिका, स्वच्छ पेयजल और अन्य जरूरी चीजों की व्यवस्था की जा सके।"
इस अवसर पर राज्यपाल और केंद्रीय मंत्री ने पांच गर्भवती महिलाओं की गोद भराई की रस्म भी कराई। इसके अलावा एक पुस्तक का लोकार्पण किया गया, जो आंगनवाड़ी केंद्रों पर आधारित है। साथ ही ‘एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों में पौधे भी लगाए गए।