इंडिया टूडे टीवी से बातचीत के दौरान पत्रकार फरीद जकारिया ने कहा, "फिलहाल तो रूस-यूक्रेन युद्ध रूका हुआ है। वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध को रूकवाने की दिशा में कुछ ही ऐसे पक्ष हैं, जिनकी विश्वनीयता पर आंख मूंदकर विश्वास किया जा सकता है। लेकिन, मुझे लगता है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने की दिशा में अपनी तरफ से वार्ता की पहल करें, तो यह दोनों ही पक्षों के लिए बेहतर रहेगा।"
उन्होंने आगे कहा, "निसंदेह यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास खुद को समस्त विश्व में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने का शायद ही इससे अच्छा मौका कोई होगा। मुझे लगता है कि उन्हें निश्चित तौर पर इस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। वो इस काम को करने में सक्षम हैं। मौजूदा समय में उनके पास एक मंच है, जहां वो अपनी कूटनीति का इस्तेमाल करके ना महज वैश्विक मंच पर खुद की अपनी एक विश्वनीयता स्थापित कर सकते हैं, बल्कि खुद को एक उम्दा और वैश्विक नेता के रूप में भी प्रस्तुत कर सकते हैं।"
हालांकि, यह कोई पहली दफा नहीं है कि जब फरीद जकारिया ने पीएम मोदी की वकालत की हो, बल्कि वो इससे पहले भी कई मौकों पर यह कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास खुद को एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने की योग्यता है।
अभी कुछ दिनों पहले ही फरीद जकारिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शान में यह कहते कसीदे पढ़े थे कि जवाहर लाल नेहरू के बाद अगर कोई ऐसा प्रधानमंत्री है, जिसने अपने पीछे विराट विरासत छोड़ी है, तो वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं। फरीद जकारिया ने इस बात पर बल दिया कि पीएम मोदी ने अपने पीछे एक शांतिप्रिय विरासत छोड़ी है।
गौरतलब है कि जब से रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, तभी से भारत खुद को वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण देश के रूप में स्थापित करने में जुटा हुआ है। वह दोनों ही युद्धग्रस्त देशों से हिंसा और युद्ध का रास्ता छोड़कर वार्ता का मार्ग अपनाने के लिए कह रहा है।
इसी साल जुलाई में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा किया था। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से भारत को अपने कार्यकाल में एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया है, वो काबिले तारीफ है। यही नहीं, पुतिन ने आगे कहा कि पीएम मोदी ने रूस और युक्रेन को युद्ध का रास्ता छोड़कर वार्ता का मार्ग अपनाने की बात कही है, यह भी सराहनीय कदम है।
अगस्त में प्रधानमंत्री कीव दौरे पर गए थे। इस दौरन, उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति के कंधों पर हाथ रखकर उन्हें ढांढस बंधाया था। इसके साथ ही उन्होंने मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में भारत के सिद्धांतों की पैरवी की थी। उन्होंने इस बात पर बल दिया था कि अगर हम चाहते हैं कि दोनों ही युद्धग्रस्त देशों में शांति स्थापित हो तो इसके लिए हमें शांति के मार्ग को अपनाना होगा। इसके इतर हमारे पास कोई दूसरा विकल्प शेष नहीं बचता है।
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी सितंबर महीने में कई वैश्विक सम्मेलन में शामिल हुई थीं, जहां उन्होंने इस बात पर बल दिया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस-यूक्रेन के बीच मौजूदा युद्ध पर विराम लगाने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
इससे पहले जॉन बोल्टन ने भी से बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक मजबूत नेता बताया था। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरकर सामने आ रहा है।