उल्लेखनीय है कि देश की तेजी से बढ़ती जनसंख्या की खाद्य एवं अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए फसल गहनता को अपनाए जाने पर जोर दिया जा रहा है। देश के शुद्ध बुआई क्षेत्र में स्वतंत्रता के बाद से लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है और यह उस बिंदु पर पहुंच गई, जिसके बाद सुगमतापूर्वक किसी प्रकार की वृद्धि प्राप्त करना संभव नहीं हैं। इस प्रकार फसल गहनता में वृद्धि लाना महत्वपूर्ण है। फसल गहनता के अंतर्गत एक ही खेत से एक कृषि वर्ष के दौरान कई फसलें प्राप्त की जाती हैं। यह एक कृषि वर्ष की अवधि में कृषि योग्य भूमि की प्रति इकाई उच्च उत्पादकता का संकेत भी देती है। जापान जैसे देश काफी पहले से इस तरह की तकनीक पर कार्य कर रहे हैं।
हाल ही में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के समक्ष हुए प्रस्तुतिकरण में कृषि विभाग और उद्यान विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों और कमांड सेंटर के डाटा में अंतर पाया गया, जिसके बाद विभागों को आम, केले, गन्ने और हॉर्टिकल्चर समेत विभिन्न फसलों का डाटा फिर से कलेक्ट करने के निर्देश दिए गए। कृषि विभाग के द्वारा प्रदान किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 169.37 लाख हेक्टेयर वास्तविक बोया गया क्षेत्रफल है यानी वह क्षेत्रफल जिसमें वर्ष में एक बार फसल बोई गई। दूसरी तरफ, कमांड सेंटर के सैटेलाइट डेटा के अनुसार प्रदेश में खरीफ और रबी का कुल कॉमन एरिया 96.49 लाख हेक्टेयर है, जबकि खरीफ, रबी और जैद का कुल कॉमन एरिया 28.85 लाख हेक्टेयर है। वहीं खरीफ का 21.43 लाख हेक्टेयर, रबी का 33.76 लाख हेक्टेयर। कुल मिलाकर वास्तविक बोया गया क्षेत्रफल 177.41 लाख हेक्टेयर है।
यदि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों की बात करें तो क्रॉपिंग इंटेंसिटी के मामले में उत्तर प्रदेश 177.10 प्रतिशत के साथ देश के औसत (155.40) से आगे है। इस मामले में मध्य प्रदेश (189.90 प्रतिशत), हरियाणा (181.80 प्रतिशत) और पंजाब (192.50 प्रतिशत) भी अव्वल हैं।