काशी, 19 अक्टूबर ( आईएएनएस): । धर्मनगरी काशी में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रसाद में बदलाव किया गया है। हाल ही में आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट का प्रकरण सामने आया था, जिसने सभी को चकित किया था। ऐसे में बाबा विश्वनाथ के प्रसाद में हुए बदलाव की पहल से बाबा के भक्त खुश हैं। नए प्रसाद को बनाने में खास तरह की सावधानियां बरती गई हैं, ताकि किसी भी स्तर पर सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सके।
काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के सीईओ विश्व भूषण मिश्रा ने प्रसाद निर्माण को लेकर बताया कि मंदिर प्रशासन प्रसाद का निर्माण खुद करवा रहा है, जो सहकारी क्षेत्र के संस्थान बनारस डेयरी की फूड प्रोसेसिंग यूनिट के अंतर्गत हो रहा है। खास बात यह है कि प्रसाद को तैयार करने में बाबा पर चढ़ाए गए बेल पत्रों के चूर्ण का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही सनातन धर्म को मानने वाले लोग ही प्रसाद निर्माण कर रहे हैं। इसमें ये सुनिश्चित किया गया है कि प्रत्येक लड्डू में कम से कम 0.07 प्रतिशत बेलपत्र के चूर्ण का इस्तेमाल हो और प्रसाद के 200 ग्राम का पैकेट 120 रुपये में मिल रहा है।
अगर इससे पहले के व्यवस्था की बात करें, तो मंदिर ट्रस्ट के सीईओ ने बताया कि "श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में प्रसाद का सार अपरिवर्तित है। पहले, प्रसाद के रूप में बेची जाने वाली मिठाइयां शहर में मिलने वाली मिठाइयों के समान होती थीं, इससे उनकी शुद्धता और पवित्रता को लेकर चिंता पैदा होती थी।"
उन्होंने बताया कि प्रसाद की शुद्धता से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए, जिसमें कुछ मंदिरों में प्रसाद की गुणवत्ता को लेकर हाल ही में हुए विवाद भी शामिल हैं, मंदिर ट्रस्ट ने नियंत्रित और शुद्ध वातावरण में प्रसाद बनाने का फैसला किया। लेकिन, मंदिर के पास प्रसाद निर्माण कराने की अपनी कोई सुविधा नहीं थी। ऐसे में वाराणसी में ऐसी जितनी अच्छी फैसिलिटी थी, उसकी तलाश की गई। इसमें 'बनास डेयरी' नामक सहकारी क्षेत्र के संस्थान की फूड प्रोसेसिंग यूनिट का चयन किया गया। मंदिर प्रशासन यहीं पर प्रसाद का निर्माण करा रहा है।
बता दें कि काशी विश्वनाथ ट्रस्ट द्वारा करीब 8 से 10 महीने पहले ये निर्णय लिया गया था कि शिव जी को अर्पित होने वाली सामग्रियों से रिसर्च करके एक रेसिपी तैयार किया जाए और उस प्रसाद को भक्तों में वितरित करवाएं। इसके लिए बहुत से ग्रंथों और पुराणों का अध्ययन किया गया और रेसिपी बनाने के लिए 4 से 5 महीने तक रिसर्च चला। प्रसाद बनाने में चावल के आटे का उपयोग किया गया है और भगवान पर अर्पित बेल पत्रों के चूर्ण को भी इसमें मिलाया गया। इस बात को सुनिश्चित किया गया है कि प्रत्येक लड्डू में शिवलिंग पर चढ़ने वाले बेलपत्र का इस्तेमाल हो।