मनोज झा ने रांची में राजद की प्रदेश इकाई के नेताओं के साथ बैठक के बाद मीडिया से कहा, "जब बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और हमारे नेता तेजस्वी यादव, पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्दिकी, पार्टी के झारखंड प्रभारी जयप्रकाश यादव और प्रदेश अध्यक्ष रांची में मौजूद हैं तो उनसे परामर्श किए बगैर उनकी गैर-मौजूदगी में गठबंधन का ऐलान एकतरफा तरीके से किया गया है और इससे हमें कष्ट पहुंचा है। हमें गठबंधन की प्रक्रिया में संलग्न नहीं किया गया, जबकि हमारे तमाम बड़े नेता यहां मौजूद हैं।" उन्होंने कहा कि सारे फैसले "मैगी टू मिनट नूडल्स" की तरह नहीं लिए जाते।
राजद नेता ने कहा कि झारखंड में हमारी ताकत बहुत ज्यादा है। हमने राज्य की 15 से 18 ऐसी सीटें चिह्नित की हैं, जहां जनाधार राजद के पक्ष में है और शायद हम इन सीटों पर भाजपा को अकेले परास्त करने में सक्षम हैं। पिछली बार गठबंधन में हम सात सीटों पर लड़े थे। लालूजी का हृदय विशाल है, इसलिए उन्होंने भाजपा को हराने के लिए इतनी ही सीटों पर लड़ना स्वीकार किया था। उस चुनाव में हम पांच सीटों पर दूसरे नंबर पर रहे। गठबंधन के बाकी दलों में किसी दल का दूसरे नंबर का यह स्ट्राइक रेट शायद नहीं था।
उन्होंने कहा है कि गठबंधन के तहत हमें जितनी सीटें देने की बात कही गई है, वह न तो राजद की ऐतिहासिक ताकत के अनुरूप है और न ही समकालीन परिस्थितियों के अनुकूल। उन्होंने कहा कि हम गठबंधन के साथियों से आग्रह करेंगे कि वे इन्हीं परिस्थितियों के अनुरूप फैसला लें।
उल्लेखनीय है कि झारखंड में 'इंडिया' ब्लॉक के नेता और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तथा कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने शनिवार दोपहर एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में गठबंधन के दलों में सहमति का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि गठबंधन के तहत झामुमो और कांग्रेस राज्य की 70 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जबकि बाकी 11 सीटों का बंटवारा राजद और वाम दलों के बीच होगा।