से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ब्रिक्स का हिस्सा है। जब वारसा पैक्ट टूटा, तब सोवियत संघ भी बिखर गया और उसमें शामिल देश अलग हो गए। उस समय भारत के सामने सवाल था कि अब वह क्या करेगा। हमारा अधिकतम सैन्य साजो-सामान सोवियत संघ से आता था और अब रूस उसे सप्लाई कर रहा है। भारत ने उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान और यूक्रेन के अलग होने पर भी रूस को नहीं छोड़ा। जब ब्रिक्स बना, तो ब्राजील, रूस, चीन, भारत, दक्षिण अफ्रीका सबने मिलकर अपने हितों को बनाए रखा। उस समय चर्चा हुई कि पश्चिमी देशों को लगता है कि भारत उनके खिलाफ काम करेगा, लेकिन भारत ने ऐसा करने से मना कर दिया। भारत ने कहा, मैं किसी के खिलाफ नहीं हूं। मैं अपना हित देख रहा हूं। सभी देश अपना हित देखते हैं। इसलिए भारत रूस के साथ खड़ा रहा। रूस को पता चल गया कि भारत मेरा शुभचिंतक है, इसलिए रूस भी हमारे साथ खड़ा रहा।
प्रफुल्ल बख्शी ने कहा कि इसकी पृष्ठभूमि यह है कि 1960-70 के दशक में रूस ने हमारा साथ दिया था। जब अमेरिका का सातवां बेड़ा भी बंगाल की खाड़ी में आ गया था और फारस की खाड़ी से ब्रिटिश बेड़ा हमारे खिलाफ आ रहा था। यह वह समय था, जब रूस ने हमारा साथ दिया था, और हमने भी हमेशा रूस का साथ दिया है और इस समय भी जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है। रूस और यूक्रेन दोनों ने ही भारत से स्वतः मित्रता कर ली है, तो स्वाभाविक है कि इस समय रूस में जो ब्रिक्स की बैठक होगी, उसमें भारत जरूर भूमिका निभाएगा। अगर भारत से संपर्क किया जाता है, तो ब्रिक्स सम्मेलन में भारत अपनी समझ से रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता स्थापित कर सकता है। भारत इस बारे में कोई न कोई रास्ता जरूर निकालेगा।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस की यात्रा पर जा रहे हैं। वह 22 से 23 अक्टूबर तक रूस की यात्रा पर रहेंगे। पीएम मोदी 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने रूस जा रहे हैं, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आमंत्रित किया है। इस बार ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता रूस कर रहा है। यह जानकारी शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने दी।