कांग्रेस नेता ने कहा, "जयशंकर को उन मुद्दों का खुलासा करना चाहिए] जिन पर समझौते चीन के साथ पहुंचे हैं, साथ ही जो अभी भी लंबित हैं।"
राशिद अल्वी ने चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "विदेश मंत्री को यह बताना चाहिए कि किन मुद्दों पर समझौता हुआ है और कौन से मुद्दे ऐसे रह गए, जिन पर समझौता नहीं हुआ है। जिन मुद्दों पर समझौता हुआ है, इसकी कॉपी देश के सामने रखें। हमें पता चलना चाहिए कि किन मुद्दों पर समझौता हुआ है। देश चीन पर भरोसा नहीं करता है। भले ही प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री चीन पर भरोसा करते हो। आर्मी स्टॉफ ने कहा है कि जब तक चीन की सेना वापस नहीं लौटती है तब तक चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।"
दरअसल, शनिवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पुणे में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि संबंधों को सामान्य बनाने के लिए अभी भी कुछ जल्दबाजी होगी, क्योंकि विश्वास और सहयोग करने की इच्छा स्वाभाविक रूप से समय लेगी।
उन्होंने बताया कि भारत और चीन 2020 के बाद कुछ क्षेत्रों को लेकर इस बात पर पहुंचे हैं कि सैनिक अपने ठिकानों पर कैसे लौटेंगे। हालांकि, बातचीत का एक महत्वपूर्ण पहलू गश्त पर केंद्रित था।
जयशंकर ने कहा, "हम पिछले दो वर्षों से बातचीत करने की कोशिश कर रहे थे। 21 अक्टूबर को हम एक नीति पर पहुंचे कि डेपसंग और डेमचोक के क्षेत्रों में गश्त फिर से शुरू हो जाएगी।"
उन्होंने कहा कि चीन के साथ सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा पीछे हटना है और दूसरा मुद्दा तनाव कम करना है। उन्होंने कहा, "समाधान के अलग-अलग पहलू हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा पीछे हटना है, क्योंकि सैनिक एक दूसरे के बहुत करीब हैं और एक घटना की संभावना महत्वपूर्ण है। इसलिए यह मुद्दों का पहला सेट है।"