नई दिल्ली, 1 नवंबर ( आईएएनएस): । प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय का आकस्मिक निधन हो गया वो 69 वर्ष के थे। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दुख जताते हुए देबरॉय को बेहतरीन अर्थशास्त्री के तौर पर याद किया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बिबेक देबरॉय के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "असामान्य रूप से व्यापक हितों वाले व्यक्ति, बिबेक देबरॉय सबसे पहले एक बेहतरीन सैद्धांतिक और अनुभवी अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर काम किया और लिखा। उनके पास स्पष्ट व्याख्या करने का विशेष कौशल भी था, जिससे आम आदमी जटिल आर्थिक मुद्दों को आसानी से समझ सके। इन वर्षों में उनके पास कई संस्थागत जुड़ाव रहे हैं और उन्होंने हर जगह अपनी छाप छोड़ी है। बिबेक मीडिया में अर्थशास्त्र से परे सार्वजनिक मुद्दों पर एक बहुत ही विपुल और हमेशा विचारवान टिप्पणीकार थे।"
जयराम रमेश ने आगे लिखा कि, "इससे भी अधिक उन्हें महान पांडित्य के सच्चे संस्कृतज्ञ के रूप में याद किया जाएगा। उनके कई अनुवाद थे और उनमें दस खंडों में महाभारत, तीन खंडों में रामायण और तीन खंडों में भागवत पुराण शामिल थे। उन्होंने भगवत गीता और हरिवंश का अनुवाद भी किया था। 19वीं सदी के उत्तरार्ध के कुछ महत्वपूर्ण निबंधों का बांग्ला में उनका अनुवाद भी उल्लेखनीय है।"
कांग्रेस नेता ने उनकी विद्वता को प्रणाम करते हुए आगे लिखा, संयोगवश मैं कुछ ही दिन पहले बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के 1879 के प्रभावशाली निबंध "साम्य" (समानता) का अनुवाद पढ़ रहा था। मैं उन्हें लगभग चार दशकों से अच्छी तरह से जानता था और हमारे बीच हर तरह के विषयों पर बातचीत होती थी। हाल ही में मैंने उन्हें दो किताबें भेजी थी, जो मुझे पता था कि उन्हें पसंद आएंगी। एक पूर्व-आधुनिक भारत में प्राकृत के महत्व पर और दूसरी याज्ञवल्क्य के साहित्यिक जीवन पर। वह अपनी विद्वता के साथ-साथ अपने हास्यबोध के लिए भी याद किये जायेंगे।
इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समेत तमाम दिग्गजों ने बिबेक देबरॉय के निधन पर शोक व्यक्त किया।
राष्ट्रपति ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दुख जताते हुए लिखा, “डॉ. बिबेक देबरॉय के निधन से देश ने एक प्रख्यात बुद्धिजीवी को खो दिया है, जिन्होंने नीति निर्माण से लेकर हमारे महान ग्रंथों के अनुवाद तक, विविध क्षेत्रों को समृद्ध किया। भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिदृश्य के बारे में उनकी समझ असाधारण थी। उनके असाधारण योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। मैं उनके परिवार, मित्रों और प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पोस्ट में लिखा, “डॉ. बिबेक देबरॉय जी एक प्रखर विद्वान थे, जो अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, अध्यात्म और अन्य विविध क्षेत्रों में पारंगत थे। अपने कार्यों के माध्यम से, उन्होंने भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी। सार्वजनिक नीति में अपने योगदान के अलावा, उन्हें हमारे प्राचीन ग्रंथों पर काम करने और उन्हें युवाओं के लिए सुलभ बनाने में भी आनंद आता था।”