नई दिल्ली, 1 नवंबर ( आईएएनएस): । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को विपक्षी कांग्रेस पर करारा हमला बोला। है। यह हमला कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की उस सलाह के बाद किया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी की राज्य इकाइयों को केवल वही वादे करने चाहिए जो वित्तीय रूप से संभव हों।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "कांग्रेस पार्टी को यह एहसास हो रहा है कि झूठे वादे करना तो आसान है, लेकिन उन्हें सही तरीके से लागू करना मुश्किल या असंभव है। प्रचार के दौरान वह लोगों से ऐसे वादे करते हैं, जिन्हें वे कभी पूरा नहीं कर पाएंगे। अब कांग्रेस पार्टी लोगों के सामने बुरी तरह बेनकाब हो गई है।"
एक दूसरे पोस्ट में पीएम ने लिखा, "देश की जनता को कांग्रेस के प्रायोजित झूठे वादों की संस्कृति से सचेत रहना होगा। हमने हाल ही में देखा कि कैसे हरियाणा के लोगों ने उनके झूठ को खारिज कर दिया और एक ऐसी सरकार को प्राथमिकता दी जो स्थिर, प्रगति उन्मुख और कार्य संचालित सरकार को प्राथमिकता दी। पूरे देश में यह अहसास बढ़ रहा है कि कांग्रेस को वोट देना अराजकता, खराब अर्थव्यवस्था और अभूतपूर्व लूट के लिए वोट देना है। देश के लोग कांग्रेस पार्टी के फर्जी दावे की जगह विकास और प्रगति चाहते हैं।"
प्रधानमंत्री ने एक और एक्स पोस्ट में लिखा, "कर्नाटक में कांग्रेस विकास की परवाह करने की बजाय पार्टी के अंदर की राजनीति और लूट में व्यस्त है। इतना ही नहीं, वह मौजूदा योजनाओं को भी वापस लेने जा रही है। हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिलता। तेलंगाना में किसान कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं। इससे पहले छत्तीसगढ़ और राजस्थान में उन्होंने कुछ भत्ते देने का वादा किया था जिसे पांच साल तक कभी लागू नहीं किया गया। ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं कि कांग्रेस कैसे काम करती है।"
इससे पहले मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "महाराष्ट्र में मैंने कहा है कि उन्हें 5, 6, 10 या 20 गारंटी की घोषणा नहीं करनी चाहिए। उन्हें बजट के आधार पर गारंटी की घोषणा करनी चाहिए, नहीं तो दिवालियापन हो जाएगा। अगर सड़कों के लिए पैसे नहीं हैं, तो हर कोई आपके खिलाफ हो जाएगा। अगर यह सरकार विफल होती है, तो आने वाली पीढ़ी के पास बदनामी के अलावा कुछ नहीं बचेगा। उन्हें 10 साल तक निर्वासन में रहना होगा।"
खड़गे का यह बयान कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा यह सुझाव दिए जाने के बाद आया है कि वह शक्ति योजना की समीक्षा कर सकती है, जिसके तहत महिलाओं के लिए मुफ्त बस परिवहन सुनिश्चित किया गया था।