इसकी जानकारी उम्मीदवारों की ओर से चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल हलफनामों से सामने आई है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और झारखंड इलेक्शन वॉच ने इसे लेकर सोमवार शाम एक रिपोर्ट जारी की।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आपराधिक मामले वाले नेताओं को टिकट नहीं देने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और परामर्श के बावजूद तमाम पार्टियों ने ‘दागियों’ को उम्मीदवार बनाने में कोई परहेज नहीं किया।
रिपोर्ट के मुताबिक, पहले चरण के 683 उम्मीदवारों में से 682 के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया गया है। एक निर्दलीय उम्मीदवार का शपथ पत्र अस्पष्ट रहने की वजह से उसका ब्योरा नहीं मिल पाया।
रिपोर्ट में बताया गया कि पहले चरण में बीजेपी ने सबसे अधिक 36 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें से 20 (56 प्रतिशत) प्रत्याशी ऐसे हैं, जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं। गंभीर आपराधिक मामले वाले भाजपा प्रत्याशियों की संख्या 15 है। जेएमएम ने इस चरण में 23 उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें से 11 (48 प्रतिशत) पर आपराधिक मामले हैं। इस पार्टी के 7 उम्मीदवार ऐसे हैं, जो गंभीर आपराधिक मामलों वाली पृष्ठभूमि से आते हैं।
इसी तरह कांग्रेस की ओर से उतारे गए 17 में 11 (65 प्रतिशत) उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। गंभीर प्रकृति के आपराधिक मामलों वाले कांग्रेस उम्मीदवारों की संख्या 8 है। बहुजन समाज पार्टी के 29 में से 8, आरजेडी के 5 में से 3 पर आपराधिक मामले हैं। जेडीयू ने इस चरण में दो उम्मीदवार उतारे हैं और दोनों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पहले चरण की सीटों पर चार उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने शपथ पत्र में बताया है कि उनके खिलाफ हत्या के मामले दर्ज हैं। 40 उम्मीदवारों के खिलाफ हत्या के प्रयास के मुकदमे हैं, जबकि 11 उम्मीदवारों ने शपथ पत्र में बताया है कि उन पर महिलाओं के ऊपर अत्याचार के केस हैं।
राज्य में पहले चरण के तहत कुल 43 सीटों पर 13 नवंबर को मतदाना कराया जाना है।