कौशल्या, सुखमति और मंजू जैसी अंबिकापुर की कई महिलाएं हैं, जिनका प्रधानमंत्री आवास योजना की वजह से पक्का मकान बन पाया है।
कौशल्या बताती हैं कि उनके परिवार में पांच सदस्य हैं और 20 साल पहले उनके पति की मौत हो गई थी, जिसके बाद घर परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। उन्होंने मजदूरी कर बच्चों का पालन-पोषण किया। हालांकि, मजदूरी में इतनी आमदनी नहीं थी कि उनका पक्का मकान बन पाए, लेकिन उनके इस सपने को प्रधानमंत्री आवास योजना ने पूरा किया है, जिसकी वजह से उनका घर पक्का बन पाया है। आज पीएम मोदी की वजह से उन्हें पक्का मकान मिल पाया है।
मंजू कश्यप ने पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "मेरे पति की मौत को 23 साल हो चुके हैं। मुझ पर तीन छोटे-छोटे बच्चों की जिम्मेदारी है और उनका पालन-पोषण करने के लिए दूसरों के घर में झाड़ू-पोछा का काम भी करती हूं। कच्चा मकान होने की वजह से बारिश के दिनों में काफी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता था। हालांकि, जब प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में पता चला तो उन्होंने इसके लिए अर्जी लगाई। इसके बाद उनका मकान पक्का बन पाया है।"
उन्होंने आगे कहा, "मैंने कभी सोचा नहीं था कि पक्का मकान भी बना पाऊंगी, लेकिन आज प्रधानमंत्री आवास योजना की वजह से मकान बन पाया है।"
वहीं, सुखमति ने बताया कि वह पहले कच्चे मकान में रहती थी, लेकिन बाद में उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में पता चला और इसकी वजह से उनका मकान पक्का बन पाया है।
उन्होंने कहा कि मेरे पति पक्का मकान बनाने का सपना देखते थे, लेकिन 2021 में उनकी मौत हो गई। इसके बाद दोनों बच्चों की जिम्मेदारी मुझ पर आ गई। परिवार का खर्च चलाने के लिए दूसरों के घरों में झाड़ू-पोछा लगाने का काम किया। आज प्रधानमंत्री की वजह से उनके पति का सपना पूरा हो पाया है।