इस परियोजना में विश्व बैंक से वित्तीय सहायता भी प्राप्त होगी, जो इसे सफलतापूर्वक लागू करने में सहायक सिद्ध होगी। योगी सरकार का यह कदम न केवल प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में सराहनीय है, बल्कि इसे शहरी क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता बनाए रखने की दिशा में एक दीर्घकालिक योजना के रूप में भी देखा जा रहा है। पिछले साढ़े सात वर्षों में राज्य के विभिन्न शहरों ने राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में उच्च स्थान प्राप्त कर उत्तर प्रदेश ने सिद्ध कर दिया है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण के लिए लगातार ठोस प्रयास कर रहा है।
‘क्लीन एयर मैनेजमेंट परियोजना’ का उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एयरशेड आधारित रणनीति अपनाना है। इस परियोजना की शुरुआत करते हुए दो दिन पहले योगी कैबिनेट ने अपनी मुहर लगाई है। इसके तहत प्रदेश के औद्योगिक, परिवहन, कृषि एवं पशुपालन, धूल और अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्रों में विभिन्न रणनीतियों और कार्यवाहियों को लागू किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करना है।
इस परियोजना के अंतर्गत वायु गुणवत्ता पर नियंत्रण रखने के लिए विभिन्न कार्य किए जाएंगे, जिनमें धूल कम करना, औद्योगिक प्रदूषण घटाना, अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से प्रदूषण को नियंत्रित करना, परिवहन क्षेत्र में कम प्रदूषणकारी ईंधन का उपयोग को बढ़ावा देना और कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र में प्रदूषण के प्रभाव को कम करना शामिल है।
सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि परियोजना का एक महत्वपूर्ण पहलू वायु गुणवत्ता सुधार के लिए सामरिक ज्ञान और निर्णय-सहायता प्रणाली का विकास है। इसके तहत वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीकी साधनों और डेटा-संचालित निर्णय प्रणाली का विकास किया जाएगा। यह प्रणाली न केवल वायु प्रदूषण के आंकड़ों का संग्रह करेगी बल्कि इनके आधार पर प्रदूषण नियंत्रण के लिए तत्काल निर्णय लेने में भी सहायक होगी।
एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार को इस परियोजना के लिए विश्व बैंक से वित्तीय सहायता मिलेगी। कुल 2,741.53 रुपए करोड़ की धनराशि ऋण और अनुदान के रूप में प्राप्त होगी, जबकि 1,119.00 करोड़ रुपए की राशि कार्बन फाइनेंसिंग के माध्यम से प्राप्त होगी। इस आर्थिक सहायता से परियोजना के सभी पहलुओं का सुचारू क्रियान्वयन संभव हो सकेगा। यह सहयोग न केवल परियोजना के संचालन को आसान बनाएगा बल्कि वायु गुणवत्ता नियंत्रण की दिशा में प्रदेश को आत्मनिर्भर भी बनाएगा।
इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिए योगी सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेंट प्राधिकरण’ का गठन करने का निर्णय लिया है। इस प्राधिकरण में एक शासी निकाय और एक कार्यकारी निकाय होगा, जो परियोजना की योजना, क्रियान्वयन और निगरानी का कार्य करेगा। प्राधिकरण विभिन्न विभागों के साथ मिलकर एयरशेड आधारित रणनीति का पालन करते हुए वायु गुणवत्ता सुधार के कार्यों को सुनिश्चित करेगा।
परियोजना के अंतर्गत वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों में रणनीतिक कार्यवाहियां की जाएंगी। औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण घटाने के लिए प्रदूषणकारी उद्योगों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी, वहीं परिवहन क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
कृषि क्षेत्र में पराली जलाने की समस्या को नियंत्रित करने के लिए किसानों को जागरूक किया जाएगा और पशुपालन क्षेत्र में भी प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय किए जाएंगे। धूल नियंत्रण के लिए मुख्यतः निर्माण कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। निर्माण स्थलों पर धूल को नियंत्रित करने के उपाय किए जाएंगे और अपशिष्ट प्रबंधन के तहत कचरे के उचित निपटान के साथ-साथ पुनर्चक्रण को प्रोत्साहित किया जाएगा।