छठ के पहले दिन श्रद्धालुओं ने जलाशयों में किया स्नान

पटना, 5 नवंबर ( आईएएनएस): । छठ महापर्व के अवसर पर बिहार की राजधानी पटना में श्रद्धालुओं की आस्था देखते ही बनती है। पटना के गंगा घाटों पर सुबह से छठ की तैयारी शुरू हो गई। मंगलवार को नहाय-खाय है। इस मौके पर छठ पर्व करने वाली व्रती मह‍िलाएं नद‍ियों व तालाबों में स्नान करके घर में कद्दू, चावल और दाल बनाती हैं। छठ पर्व को लेकर पूरे बिहार में गजब का उत्साह देखा जा रहा है।

छठ के पहले दिन श्रद्धालुओं ने जलाशयों में किया स्नान
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बिहार में छठ व्रत करने वाली एक महिला बताती है, “छठ पूजा बिहार का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व है, जो सूर्य भगवान की उपासना के लिए मनाया जाता है। सूर्य देव को पृथ्वी पर प्रत्यक्ष देवता माना जाता है, और वह हमारे जीवन के प्रमुख स्रोत हैं। इस व्रत में सूर्य देव की पूजा के साथ-साथ उनकी पुत्री शशि देवी की भी पूजा की जाती है, जो कुल और वंश की देवी मानी जाती हैं।”

उन्होंने कहा, “आज छठ का पहला दिन "नहाय-खाय" है, जब महिलाएं इस व्रत का संकल्प लेती हैं और व्रत की शुरुआत करती हैं। इस दिन कद्दू-भात, चावल, दाल आदि से व्रत का आरंभ किया जाता है। बुधवार को दूसरा दिन होगा, और इस दिन की पूजा में छठ मैया से हम यह कामना करते हैं कि वह सभी की कुल की वृद्धि और उन्नति करें। यह पर्व सभी के लिए सुख-समृद्धि और आशीर्वाद का प्रतीक है, और हमारी प्रार्थना है कि छठ मैया सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करें।”

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एक अन्य महिला कहती हैं, “यह बिहार का सबसे बड़ा पर्व होता है। इसे बड़े ही पवित्र मन से किया जाता है। आज 'नहाय-खाय' है।”

एक अन्य महिला दीपा को बताती हैं, “छठ महापर्व बहुत पवित्र और महान पर्व है। यह पर्व हमारे लिए सुख और आशीर्वाद का स्रोत है। मां छठी की कृपा से हम जो कुछ भी मांगते हैं, वह पूरा होता है। जब हम दुख लेकर आते हैं, तो छठ माता की कृपा से वह दुख सुख में बदल जाता है। इसलिए हम लोग छठी मां और रोहिणी रानी की पूजा करते हैं। आज से छठ पूजा की शुरुआत हो रही है, और हम बाबा दीनानाथ से यह प्रार्थना करते हैं कि सभी का भला हो। इस दिन हम लोग नहा-धोकर व्रत का संकल्प लेते हैं। आज का दिन विशेष है, जहां सुबह और शाम दोनों समय के व्रत पूरे करने होते हैं। कल से हम लोग उपवास रखते हैं, और इस दौरान खीर, पूरी, रोटी आदि का प्रसाद लेते हैं।”

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उन्होंने कहा,“पूरे तीन दिन का व्रत कठिन होता है, इसमें दिन और रात का उपवास करना होता है। जब हमें प्रसाद मिलता है, तभी हम उसे खाते हैं, इसके अलावा हम कुछ भी नहीं खाते। यह पूजा बहुत कठिन है, लेकिन छठी मइया की कृपा से हमें शक्ति मिलती है और हम यह कठिन व्रत पूरा करते हैं।”

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