उन्होंने कहा कि झारखंडी एकजुट हैं। हमें कोई अलग नहीं कर सकता है। हम लोग विभाजनकारी तत्वों को बाहर खदेड़ेंगे।
उन्होंने कहा, “यह लोग केवल धार्मिक और सांप्रदायिक मुद्दों को उठा रहे हैं, जबकि वह असल मुद्दों पर बात नहीं कर रहे हैं, जैसे कि महंगाई, किसानों की स्थिति, आरक्षण और पिछली सरकारों के भ्रष्टाचार के आरोपों जैसे मुद्दों पर ये लोग नहीं बोल रहे हैं। ”
उन्होंने कहा, “विपक्षी नेताओं के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है और वह केवल एक ऐसा मुद्दा उठा रहे हैं जो धार्मिक और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देता है, ताकि अपने वोट बैंक को सुदृढ़ किया जा सके। वह आरोप लगाते हैं कि विपक्षी दल, मीडिया और जनता के बीच भ्रम फैलाने के लिए इन मुद्दों को उछालते हैं, जबकि असल में उन्हें जनता के असली मुद्दों की चिंता नहीं है।”
उन्होंने कहा, “ झारखंड की जनता जानती है कि जो लोग घुसपैठियों के खिलाफ बोलते हैं, वह असल में घुसपैठियों का समर्थन करते हैं। यहां गृहमंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की आलोचना की गई है, जिन पर बांगलादेशी नागरिकों को संरक्षण देने का आरोप लगाया गया। साथ ही यह भी कहा गया कि इनकी प्राथमिकता व्यापारिक हितों की पूर्ति है, और बांगलादेश को भारत से बिजली आपूर्ति करने की बात की जा रही है, जिससे उनके व्यापारिक मित्रों को लाभ हो सकता है।”
उन्होंने कहा, “अगर विपक्षी दल हेमंत सोरेन पर ज्यादा हमला करते हैं तो इससे राज्य में एक और उथल-पुथल हो सकती है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है। आगामी चुनावों के बाद विपक्षी नेताओं को झारखंड में कोई फायदा नहीं मिलेगा, क्योंकि राज्य की जनता एकजुट है और इन बाहरी ताकतों को खदेड़ने के लिए तैयार है।”