जस्टिन ट्रूडो की सरकार का बर्ताव शर्मनाक : अग्निमित्रा पॉल

कोलकाता, 5 नवंबर ( आईएएनएस): । कनाडा में इन दिनों भारत विरोधी माहौल अपने चरम स्तर पर है। इसी क्रम में रविवार को कनाडा के ब्रैम्पटन में एक हिंदू मंदिर पर हमला हुआ था। यह हमला तब हुआ जब भारतीय उच्चायोग के अधिकारी मंदिर गए थे। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने इस कदम की निंदा की थी। पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी नेता अग्निमित्रा पॉल ने पीएम के बयान का समर्थन किया है।

जस्टिन ट्रूडो की सरकार का बर्ताव शर्मनाक : अग्निमित्रा पॉल
Advertisement

उन्होंने से बात करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि कनाडा सरकार, विशेष रूप से जस्टिन ट्रूडो की सरकार, जो बर्ताव कर रही है, वह शर्मनाक है। कनाडा में हमारे मंदिरों के सामने जिस तरह से हिंसा और मारपीट की घटनाएं हुई हैं, वह अत्यंत निंदनीय हैं और दुख की बात यह है कि कनाडा सरकार बिना किसी ठोस सबूत के भारत सरकार पर आरोप लगा रही है। भारत सरकार की श‍िकायत के बाद भी कनाडा सरकार वोट बैंक की राजनीति के लिए अलगाववाद‍ियों को बढ़ावा दे रही है।

उन्होंने कहा, “मंगलवार को ओंटारियो में सिख गुरुद्वारे की समिति ने एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनका धर्म कभी भी दूसरों का अपमान करने या हिंसा फैलाने को सही नहीं मानता। गुरुद्वारा समिति ने कनाडा सरकार से अपील की है कि वह इस मामले में सख्त कदम उठाए। जस्टिन ट्रूडो को समझना चाहिए कि वह भारत को दबाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम जानते हैं कि कौन उन्हें भड़काने की कोशिश कर रहा है। हमें पूरा विश्वास है कि भारत की स्थिति मजबूत हो रही है और जो सच है, वह जल्द ही सबके सामने आ जाएगा।”

Advertisement

उन्होंने कहा, “जस्टिन ट्रूडो आपको अपने राजधर्म का पालन करना चाहिए और भारत के मामले में अनावश्यक हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। भारत दुनिया में तेजी से उभर रहा है, और यह प्रयासों से हमारी स्थिति और मजबूत होगी।”

बता दें कि कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर पर हुए हमले के बाद भारत और कनाडा के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। कनाडा में हिंदू मंदिर पर हुए हमले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निंदा की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि मैं कनाडा में हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे (भारत के) राजनयिकों को डराने-धमकाने की कायरतापूर्ण कोशिशें भी उतनी ही भयावह और खतरनाक हैं। हिंसा कभी भी भारत के संकल्प को कमजोर नहीं कर सकती। हम कनाडा सरकार से न्याय सुनिश्चित करने और कानून के शासन को बनाए रखने की उम्मीद करते हैं।

Advertisement

इसके बाद उन्होंने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें पीएम मोदी के सीजेआई आवास के दौरे के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था कि हर चीज को राजनीति के एंगल से नहीं देखना चाहिए। इस पर उन्होंने कहा, “आज राष्ट्रपति भवन में जो अनुष्ठान होते हैं, उनमें सभी पार्टियों के लोग शामिल होते हैं। वहां क्या कोई इस पर सवाल उठाता है? क्या किसी और के घर में होने वाली शादी में हम नहीं जाते? यह जो नैरेटिव फैलाने की कोशिश की जा रही है, खासकर लेफ्ट और अल्ट्रा लेफ्ट द्वारा, इसका उद्देश्य भारत में अशांति पैदा करना है। जो लोग सीजेआई पर हमला कर रहे हैं, मुझे लगता है कि वे असल में संविधान पर हमला कर रहे हैं।”

Advertisement

उन्होंने आगे कहा, “आज जब चीफ जस्टिस ने यह कहा कि राजनीति को हर मामले में घसीटना ठीक नहीं है, तो यह एक महत्वपूर्ण संदेश है। खासकर, जो टीएमसी जैसे राजनीतिक दल हैं, वे अक्सर बिना किसी ठोस कारण के राजनीति में कूद जाते हैं। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है, क्योंकि संविधान और न्यायपालिका हमारे लोकतंत्र के स्तंभ हैं, और हमें इनका सम्मान करना चाहिए। ज्यूडिशरी को राजनीतिक विवादों से दूर रखा जाना चाहिए, क्योंकि यह हमारे देश के न्यायिक तंत्र का अभिन्न हिस्सा है।”

सीजेआई ने हाल ही में कहा था कि जो भी कोर्ट में सुनवाई हो रही है उसमें यह जरूरी नहीं कि सरकार ही दोषी हो। इस पर उन्होंने कहा, “यह सही बात है। आज इस तरह का माइंडसेट हो गया है कि कुछ लोग ऐसी बातें फैलाते हैं, जब भी सरकार के पक्ष में कोई फैसला जाता है तो वह लोग कहते हैं कि यह ठीक नहीं हुआ है। कुछ लोग सोशल मीडिया के माध्यम से ही जजमेंट कर देते हैं। सोशल मीडिया पर जो न्याय की बातें होती हैं, वे अक्सर आवेग, भावना और व्यक्तिगत राय पर आधारित होती हैं। वहीं, अदालत का निर्णय तथ्यों और तर्कों पर आधारित होता है, और यह एक ठोस, सोच-समझ कर लिया गया फैसला होता है। दोनों को एक साथ जोड़ना सही नहीं है, क्योंकि यह एक गलत धारणा पैदा करता है कि यदि अदालत सरकार के खिलाफ फैसला देती है तो वह हमेशा सही होता है। नहीं, अदालत उस स्थिति में फैसला लेती है, जहां तथ्यों का समर्थन होता है, और निर्णय पूरी तरह से तर्कसंगत और स्पष्ट होता है।”

Advertisement

उन्होंने आगे कहा, “हालांकि, कुछ पार्टियां, जैसे टीएमसी और कुछ लेफ्ट पार्टियां, जब उन्हें वह निर्णय नहीं मिलता, जिसकी वे उम्मीद करते हैं, तो वे न्यायपालिका पर सवाल उठाने लगती हैं और इस तरह से न्यायपालिका के प्रति समाज में विश्वास को खत्म करने की कोशिश करती हैं। यह गलत है। हम पहले भी देख चुके हैं कि जब उनका पक्ष अदालत में नहीं जीतता, तो वे सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर फैसले को चुनौती देने लगते हैं। उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल में एक नेता के घर पर पोस्टर लगाना और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की धमकी देना, जब उनके विचार से अलग राय आई, यह बहुत गलत बात है। न्यायपालिका का सम्मान और आम आदमी का विश्वास उसी तरह कायम रहना चाहिए, जैसे वह पहले था। यह कोशिश करना कि समाज में न्यायपालिका के खिलाफ अविश्वास पैदा किया जाए, देश के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने जैसा है और इसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता।”

आगे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट, 2004 पर फैसला सुनाते हुए इसकी संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था। एससी ने हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया जिसमें कहा गया था कि यह एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है। इस पर उन्होंने कहा, “यह बहुत सही है कि हम माननीय न्यायालय के निर्णय का सम्मान करते हैं, लेकिन एक सवाल मेरे मन में है। आज जो शिक्षा मदरसे से दी जा रही है, क्या वह सामान्य शिक्षा के मुकाबले प्रतिस्पर्धा कर सकती है? अगर यह दोनों शिक्षा प्रणालियां समान हैं, तो फिर आज मुसलमान समुदाय से डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस, आईएफएस जैसे पेशेवर क्यों नहीं निकल रहे? यह एक बड़ा सवाल है, और इसका जवाब यह है कि मदरसा शिक्षा प्रणाली में वह आधुनिक शिक्षा और कौशल नहीं दिए जाते, जो आज के प्रतिस्पर्धात्मक और तकनीकी दुनिया में जरूरी हैं। इसका प्रमाण यह है कि उस समुदाय से वह पेशेवर जैसे वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट, डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस, आईएफएस, आईआरएस नहीं निकल पा रहे हैं। क्यों? यह सवाल मैं माननीय न्यायालय से पूछती हूं।”

 

X
{ "vars": { "gtag_id": "G-EZNB9L3G53", "config": { "G-EZNB9L3G53": { "groups": "default" } } }, "triggers": { "trackPageview": { "on": "amp-next-page-scroll", "request": "pageview", "scrollSpec": { "useInitialPageSize": true } } } }