मांझी ने लिखा, बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के निधन से स्तब्ध हूं। उनकी गायन ने बिहार की संस्कृति, भोजपुरी संगीत और छठ महापर्व की महानता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक गरिमामयी पहचान दिलाई है। ईश्वर उन्हें श्री चरणों में स्थान प्रदान करें।
जीतन राम मांझी ने एक वीडियो पोस्ट में कहा, समस्त हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान की संस्कृति खास तौर आंचलिक संस्कृति के लिए बहुत दुखद बात है। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। हम समझते हैं कि आंचलिक गीतों को गाकर जिस प्रकार उन्होंने सेवा की है। छठ पूजा, देवी, मुंडन, विवाह के गीतों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। हमारी ओर से शारदा सिन्हा को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। जब तक यह संसार है हम लोग उनके द्वारा गाए गीतों से अवगत होते रहेंगे।
बता दें कि कुछ दिन पहले शारदा सिन्हा को बीमारी के चलते दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। सोमवार को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें वेंटीलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया था। शारदा सिन्हा के पुत्र अंशुमन सिन्हा ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर निधन की जानकारी साझा की थी। पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि आप सब की प्रार्थना और प्यार हमेशा मां के साथ रहेंगे। मां को छठी मइया ने अपने पास बुला लिया है। मां अब शारीरिक रूप में हम सब के बीच नहीं रहीं।
पद्म भूषण से सम्मानित 72 वर्षीय शारदा सिन्हा मैथिली और भोजपुरी गीत गाने के लिए जानी जाती हैं। गीत-संगीत में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया है।
शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के समस्तीपुर में संगीत से जुड़े एक परिवार में हुआ था। उन्होंने 1980 में ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन से अपना करियर शुरू किया और जल्द ही अपनी दमदार आवाज और भावनात्मक प्रस्तुति के लिए मशहूर हो गईं। खास बात ये रही कि उन्होंने भोजपुरी श्रोताओं को ऐसे गीत दिए जो अश्लीलता से परे रहे।