इसके तुरंत बाद, राष्ट्रपति गोवा के तट पर समुद्र में स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का दौरा करेंगी। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर पहली यात्रा है। इस यात्रा में राष्ट्रपति बहु-क्षेत्रीय नौसैनिक अभियानों की पूरी श्रृंखला को देखेंगी।
निर्धारित गतिविधियों में सतही जहाजों का संचालन, युद्धक कार्रवाई, पनडुब्बी अभ्यास, हवाई शक्ति प्रदर्शन, डेक आधारित लड़ाकू विमानों व हेलीकॉप्टरों द्वारा उड़ान भरना और उतरना तथा नौसेना के विमानों द्वारा फ्लाईपास्ट शामिल है।
आईएनएस विक्रांत पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है और हमारे देश द्वारा निर्मित अब तक का सबसे जटिल युद्धपोत है। इस जहाज को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा इन-हाउस डिजाइन किया गया है और मेसर्स कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित किया गया है। यह जहाज 4 अगस्त 2021 को पहले समुद्री परीक्षणों के लिए रवाना हुआ था। उस समय से यह मुख्य प्रोपल्शन, बिजली उत्पादन उपकरण, अग्निशमन प्रणाली, एविएशन फैसिलिटी कॉम्प्लेक्स आदि के परीक्षणों के लिए समुद्र में रहा है।
इस कैरियर को भारतीय नौसेना में 2 सितंबर 2022 को कमीशन किया गया था। इस एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत विजन को एक बड़ा प्रोत्साहन है। यह कैरियर 13 दिसंबर 2022 से रोटरी विंग और फिक्स्ड विंग विमान के साथ वायु प्रमाणन और उड़ान एकीकरण परीक्षणों के लिए 'कॉम्बैट रेडी' होने के उद्देश्य की प्राप्ति हेतु व्यापक एयर ऑपरेशन्स कर रहा है।
आईएनएस विक्रांत के हर हिस्से की अपनी खूबियां हैं, अपनी ताकत है, अपनी विकास यात्रा है। यह स्वदेशी क्षमता, स्वदेशी संसाधनों और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है। इसके एयरबेस में लगा स्टील भी स्वदेशी है, जिसे डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है और भारतीय कंपनियों ने बनाया है।
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