इस बीच, केंद्रीय मंत्री वी. सोमन्ना, विधान परिषद में विपक्ष के नेता चलवादी नारायणस्वामी, विधानसभा में विपक्ष के उपनेता अरविंद बेलाड, विधायक महेश तेंगिनाकाई, पूर्व सांसद प्रताप सिन्हा और कई अन्य नेता मौजूद रहे।
इस दौरान, सभी ने इस बिल को देशहित में सही बताया।
इसके अलावा, जगदंबिका पाल ने हुबली में किसानों के प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात की। इस दौरान किसानों ने उन्हें बताया कि किस तरह से वक्फ बोर्ड ने उनकी जमीनों को अपने कब्जे में ले रखा है।
इस पर पाल ने कहा कि यह सबकुछ बिना प्रशासन के सहयोग के मुमकिन नहीं है। जिस तरह से किसानों के हितों पर कुठाराघात करते हुए उनकी जमीन को कब्जे में लिया गया है, उससे यह साफ जाहिर है कि इसके पीछे प्रशासन की भी संलिप्तता है।
पाल ने कहा कि मुझे लगा था कि 10 -15 किसानों का प्रतिनिधिमंडल इस संबंध में मुझे ज्ञापन सौंप सकता है। लेकिन, अब तक मुझे इस संबंध में 70 ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं। मैं सभी ज्ञापन पर विचार कर उस पर बाकायदा एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करूंगा, ताकि आगे की रूपरेखा तैयार की जा सके।
इससे पहले विपक्षी सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर जगदंबिका पाल पर मनमानी करते हुए एकतरफा फैसले लेने का आरोप लगाया था। विपक्षी सांसदों ने शिकायत की थी कि संयुक्त संसदीय समिति में उनकी बातों को नहीं सुना जा रहा है, उन्हें अनदेखा किया जा रहा है। जगदंबिका पाल अपनी मनमानी कर रहे हैं।
वहीं, जगदंबिका पाल ने विपक्षी सांसदों के इन आरोपों को सिरे से खारिज किया था।
उधर, बीते दिनों भाजपा नेता तेजस्वी सूर्या ने जगदंबिका पाल को पत्र लिखा था। उन्होंने बैठक में किसानों को भी शामिल होने के लिए कहा था।
उन्होंने कहा था कि वक्फ बोर्ड पर किसानों की जमीन हड़पने का आरोप है। ऐसे में बैठक में किसानों को भी शामिल किया जाए, ताकि वो भी खुलकर अपनी बात रख सके।
भाजपा नेता ने कहा था कि अगर उन्हें अपनी बात रखने का मौका मिलेगा, तो उनके लिए आगे चलकर समाधान के रास्ते तैयार होंगे।
यही नहीं, वक्फ बोर्ड पर कई ऐतिहासिक स्मारकों को भी अपने कब्जे में लेने का आरोप है, जबकि एएसआई पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि इन ऐतिहासिक स्मारकों का मालिकाना हक वक्फ समिति के पास नहीं है।