राज्य की राजधानी भोपाल सहित अन्य हिस्सों के जल स्रोतों पर गुरुवार की शाम से ही श्रद्धालुओं का मेला सा लग गया और शुक्रवार की सुबह तो यह स्थान धार्मिक स्थल में बदल गए। हर तरफ धार्मिक अनुष्ठान चल रहे थे, दीप प्रज्वलित कर रहे थे, लोकगीतों के मधुर स्वर वातावरण को खुशनुमा बना रहे थे और वहां मौजूद लोग आतिशबाजी करने में भी लगे थे। कुल मिलाकर जल स्त्रोतों के तट पर मौजूद हजारो लोग भक्ति भाव के रंग में रंगे हुए नजर आए।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने छठ के मौके पर जल स्रोतों पर खास इंतजाम करने के निर्देश दिए थे जिन पर अमल होता नजर आया। जल स्रोतों पर बोट के साथ लाइव जैकेट पहने हुए गोताखोर भी तैनात रहे और श्रद्धालुओं को गहरे जल की तरफ जाने से रोका गया। जल स्त्रोतों के करीब ही पानी को रोक कर पूजा स्थल बनाए गए ताकि लोगों को पूजा करने में कोई दिक्कत न आए और वह गहरे पानी में न जाएं। इसका असर यह हुआ कि जल स्रोतों में न तो पूजन सामग्री पहुंची और न ही किसी तरह की गंदगी, इतना ही नहीं श्रद्धालुओं ने भी पूरी तरह इस बात का ध्यान रखा कि उनकी पूजन सामग्री पानी में न पहुंचे। यही कारण रहा कि अधिकांश जल स्रोतों का पानी साफ सुथरा बना रहा। इस पावन पर्व पर श्रद्धालुओं ने जल संरक्षण और स्वच्छता का बड़ा संदेश दिया।
राजधानी के मंशापूर्ण हनुमान मंदिर के करीब स्थित जल स्रोत पर पूजा करने परिवार के साथ पहुंचे राजाराम ने बताया कि छठ के पर्व पर लोगों में भी जल संरक्षण और स्वच्छता बनाए रखने का भाव है, पानी में किसी तरह की पूजन सामग्री तक को नहीं छोड़ा जा रहा है। इसी का नतीजा है कि मुख्य जल स्रोत का पानी साफ नजर आ रहा है। इसके लिए व्यवस्था करने वालों का भी बड़ा योगदान है क्योंकि पूजन के लिए खास स्थान बनाए गए हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तालाबों, नदी, पोखर के किनारे छठ मैया की पूजा होना थी, वहां विशेष प्रबंध करने के प्रशासन को निर्देश दिए थे। इसके अलावा परंपरागत स्थान जहां पूजा होती है वहां भी पर्याप्त इंतजाम किए गए थे।