संयुक्त राष्ट्र, 8 नवंबर ( आईएएनएस): । दुनिया भर में आध्यात्मिकता के प्रेरक स्वामी विवेकानंद के जीवन और कार्यों पर आधारित एक प्रदर्शनी लगाई गई।
न्यूयॉर्क वेदांत सोसाइटी के स्थानीय मंत्री स्वामी सर्वप्रियानंद ने प्रदर्शनी के उद्घाटन के अवसर पर कहा, 'जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, विवेकानंद का कद और ऊंचा होता जा रहा है। उनके विचार न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।'
उन्होंने कहा, 'जब वे 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद के लिए गए थे, तब उन्होंने पूर्व और पश्चिम के बीच एक पुल का निर्माण किया और यह पुल आज बहुत मजबूत और बहुत जीवंत है।'
न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूत बिनया श्रीकांत प्रधान ने कहा कि प्राचीन हिंदू ज्ञान में निहित मानवता की एकता का विवेकानंद का संदेश संयुक्त राष्ट्र में विशेष रूप से प्रासंगिक है।
प्रदर्शनी का आयोजन 'सोसाइटी फॉर एनलाइटनमेंट एंड ट्रांसफॉर्मेशन' (एसईएटी) द्वारा किया गया था, जो संयुक्त राष्ट्र स्टाफ रिक्रिएशन काउंसिल (यूएनएसआरसी) का एक घटक है।
यूएनएसआरसी के अध्यक्ष पीटर डॉकिंंस ने कहा कि प्रदर्शनी के माध्यम से वे 'संयुक्त राष्ट्र के मूल मूल्यों, उद्देश्यों और मिशन' के लिए विवेकानंद की प्रासंगिकता को उजागर करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, 'हम उम्मीद कर रहे हैं कि हम विवेकानंद के जीवन के बारे में लोगों को जागरूक करेंगे। विशेष रूप से वे पश्चिम में क्या लेकर आए, न्यूयॉर्क के साथ उनका संबंध और प्रत्यक्ष रूप से नहीं, तो अप्रत्यक्ष रूप से संयुक्त राष्ट्र के साथ उनका जुड़ाव क्या है।'
प्रदर्शनी की सामग्री हिंदू स्वयंसेवक संघ ने तैयार की, जिन्हें एसईएटी संयुक्त राष्ट्र में लेकर आया।
हिंदू स्वयंसेवक संघ के आउटरीच समन्वयक गणेश रामकृष्णन ने कहा, 'स्वामी विवेकानंद आज के समय में भी अधिक प्रासंगिक हैं। ‘सेवा’ के लिए उनकी अपील, युवाओं के बीच गूंजता है।'
सर्वप्रियानंद ने कहा कि 'विवेकानंद को भारत और भारतीयों में गौरव की भावना और आधुनिक भारतीय राष्ट्र की भावना को बहाल करके भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत करने वाला कहा जा सकता है।'
उन्होंने कहा, किसी ने उन्हें आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद का अचेतन पिता कहा था। विवेकानंद ने शिक्षा और वैज्ञानिक विचारों को बढ़ावा दिया।
प्रदर्शनी में निकोला टेस्ला जैसे वैज्ञानिकों के साथ उनकी बातचीत शामिल है।