घुसपैठियों को धार्मिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए : आरपी सिंह

नई दिल्ली, 16 नवंबर ( आईएएनएस): । भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने शनिवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश के झांसी में मेडिकल कॉलेज में आग से 10 नवजातों की मौत, राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और अवैध रोहिंग्या मुस्लिमों की जांच होने पर अपनी प्रतिक्रिया दी।

घुसपैठियों को धार्मिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए : आरपी सिंह
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झांसी में 'महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज' में आग लगने से हुए हादसे में 10 नवजातों शिशुओं की मौत हो गई है। भाजपा प्रवक्ता आरपी सिंह ने शोक प्रकट करते हुए से कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। पीड़ित परिवारों के साथ हमारी संवेदनाएं हैं। यूपी सरकार इसपर नजर बनाए हुए है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक मौके पर गए। घायल बच्चों को बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है। इस मामले की जांच भी होगी और जो भी दोषी होंगे, उनपर जरूरी कार्रवाई की जाएगी।

दिल्ली में रोहिंग्या घुसपैठियों को लेकर भाजपा नेता ने कहा कि ऐसी जानकारी है कि करीब 1,100 रोहिंग्या दिल्ली के अलग-अलग स्थानों, खासकर कालिंदी कुंज में बसे हैं, इसके अलावा कई घने इलाकों में भी उन्होंने अपने अड्डे बनाए हैं, जिनकी जांच होना जरूरी है। लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं कि उन लोगों द्वारा नाजायज काम किए जा रहे हैं और गलत तरीके से कब्जे किए जा रहे हैं।

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उन्होंने आगे कहा कि अवैध रोहिंग्या की जांच से कुछ लोगों के पेट में दर्द हो रहा है, क्योंकि वो उनके वोट बैंक हैं। इसमें खासकर आम आदमी पार्टी शामिल है। 'आप' रोहिंग्या घुसपैठियों के जरिए से मुस्लिमों को टारगेट करने की कोशिश करती है। लेकिन घुसपैठियों को हिंदू-मुस्लिम के चश्मे से नहीं देखना चाहिए।

इसके अलावा दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जाहिर करते हुए आरपी सिंह ने कहा कि दिल्ली सरकार के वादे खोखले हैं। ये पिछले कई सालों से सोते रहे। यहां के अस्पतालों की स्थिति इतनी विकट है कि डॉक्टरों ने कह दिया है कि गर्भवती महिलाएं जल्दी अस्पताल को छोड़ कर जाएं, नहीं तो उनके गर्भ पर असर पड़ेगा।

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उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली में प्रदूषण का मूल कारण यातायात है जो प्रदूषण में 40.5 प्रतिशत योगदान देता है। इसके बाद धूल के कारण प्रदूषण है। इन दोनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने में दिल्ली सरकार असफल रही है। ऐसे में दिल्ली सरकार सिर्फ 25 अक्टूबर को उठती है और 25 जनवरी को वापस जाकर सो जाती है। लंबे समय के समाधान के लिए इनको विपक्षी दलों के साथ मिलकर चर्चा करनी चाहिए।

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