उन्होंने कहा, “सभा के दौरान जब मैं भाषण कर रही थी, तभी कुछ लोग जोर-जोर से हूटिंग करने लगे। कुछ लोगों ने अल्लाह हू अकबर के नारे लगाने शुरू कर दिए। जब आपके आसपास चाहने वाले लोग खड़े होते हैं, तो इससे समझ में आता है कि जरूर कुछ न कुछ गड़बड़ चल रही है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इसके बावजूद मैंने अपना भाषण बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न किया। मैंने उन्हें समझाया कि किसी भी प्रकार का हुड़दंग न हो। मैं यह नहीं चाहती थी कि सभा में आए किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार से क्षति न पहुंचे। अगर ऐसा होता, तो मुझे अच्छा नहीं लगता, इसलिए मेरी पहली प्राथमिकता यही थी कि सभा में स्थिति न बिगड़े।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारा कोई और उद्देश्य नहीं है। हमारा एकमात्र उद्देश्य यही है कि महाराष्ट्र में सभी सीटों पर शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव हो। मेरे साथ 150 से 200 की संख्या में अपंग लोग मौजूद थे। अगर किसी भी प्रकार से स्थिति अव्यवस्थित होती, तो सबसे ज्यादा नुकसान उन्हें ही होता, इसलिए मैंने बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से काम लेना जरूरी समझा, इसलिए मैंने अपने लोगों को पहले आह्वान कर दिया था कि कोई भी वहां पर किसी भी प्रकार से शांति भंग नहीं करेगा, क्योंकि अगर ऐसा होता, तो इससे बड़े पैमाने पर लोगों को क्षति पहुंच सकती थी।”
उन्होंने कहा, “हमने सभा करने के लिए शासकीय परमिशन ली। उस गांव में उद्धव ठाकरे के तालुकाध्यक्ष रहते हैं, तो इससे यह साफ जाहिर होता है कि यह सब कुछ उन्हीं के इशारे पर हुआ है, क्योंकि उद्धव ठाकरे के नाम से बालासाहेब ठाकरे का नाम चला गया है, इसलिए वो अपने अंदर की कुंठा को बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि मेरे विचार अटल रहेंगे। मुझे साजिशन जेल में रखा गया था। इसके बावजूद भी यह लोग मेरे विचारों को नहीं बदल पाए।”
इसके अलावा, उन्होंने बंटेंगे तो कटेंगे के नारे भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि बटेंगे तो कटेंगे, यह उनका नारा है। हम तो एक हैं सेफ है, वाले सिद्धांत पर चलते हैं।