सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "यह एक प्री-प्लान घटना है और अफसोस की बात यह है कि प्रदेश और देश के अंदर मुस्लिम समाज के लोगों को टारगेट करके काम किया जा रहा है। इससे ज्यादा बुरा हाल आजादी के बाद कभी नहीं हुआ होगा। जिस प्रकार से प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है। जब संसद ने 1991 में एक कानून बना दिया है कि 1947 से पहले के जितने भी धार्मिक स्थल अस्तित्व में है, उनके साथ किसी प्रकार की कोई छेड़खानी नहीं होगी, लेकिन इसके बावजूद जगह-जगह याचिकाएं दायर की जा रही हैं और उसी दिन आदेश भी दिए जा रहे हैं।"
जियाउर्रहमान बर्क ने आगे कहा, "हमने इस मामले में शांतिपूर्वक सर्वे कराया, मगर जुमे की दिन बहुत सारे लोगों को नमाज पढ़ने से रोका गया। इतना ही नहीं, पुलिस बल की तैनाती भी की गई। इसके बावजूद हमने लोगों से कहा कि कोई कदम उठाने की जरूरत नहीं है और किसी दूसरी मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ें। हालांकि, जब एक बार सर्वे हो गया था तो दूसरी बार सर्वे की जरूरत क्यों आई? अगर उन्हें सर्वे कराना था तो वह कोर्ट का आदेश लेकर आते, लेकिन फिर भी उन्होंने सर्वे किया और जो लोग वहां पर थे तो उन्होंने जय श्री राम के नारे लगाए।"
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर रविवार को हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ। बवाल के बाद कई तरह की पाबंदियां लगा दी गई हैं। संभल में एक दिसंबर तक बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।