सोनपुर मेला में आज गौर से देखें तो पूरे क्षेत्र में मनोरंजन, संस्कृति और रोमांच का एक संगम उतर आया है, जो हर आयु वर्ग के लोगों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सारण जिले के सोनपुर में एक महीने तक रौनक बिखरने वाले इस मेला का पुराना इतिहास रहा है।
कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर हाजीपुर के कोनहरा घाट और सोनपुर के काली घाट पर गंगा और गंडक नदी के संगम पर डुबकी लगाने के लिए लाखों लोग आते हैं। इसके बाद इस मेले की शुरुआत हो जाती है।
इस वर्ष इस मेले में प्राचीन मेलों की तरह खेल-तमाशों की दुनिया सजी है, तो आधुनिक झूले रोमांचित कर रहे हैं। विशाल झूलों ने युवाओं और बच्चों के बीच खासा उत्साह पैदा कर दिया है। आधुनिक और पारंपरिक झूलों के अलावा कलाकारों के हैरतअंगेज करतब दर्शकों को आश्चर्यचकित कर रहे हैं।
खाने-पीने के शौकीन लोगों के लिए मेले में तरह-तरह के स्टॉल लगाए गए है। इसमें चाइनीज फूड के स्टॉल हैं, तो कई स्टॉलों पर पारंपरिक व्यंजन भी परोसे जा रहे हैं। अभिभावक अपने बच्चों को पारंपरिक व्यंजनों से ना केवल परिचय करवा रहे हैं, बल्कि उसका स्वाद चखना भी नहीं भूल रहे।
बिहार के पर्यटन विभाग के मंत्री नीतीश मिश्रा भी मानते हैं कि अपने इतिहास और परंपराओं को समेटे सोनपुर मेला में कुछ कमियां जरूर रही हैं। लेकिन, वर्तमान सरकार उन कमियों को दूर करने को लेकर प्रयासरत है।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि इस साल मेले को विदेश से भी लोग देखने पहुंच रहे हैं। यहां पर्यटकों को पहुंचने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो, इसके लिए विभाग ने कई तरह के पैकेज उपलब्ध कराए हैं।