देश चुनाव के चक्रव्यूह में फंसा रहता है, इसलिए 'वन नेशन-वन इलेक्शन' जरूरी : मुख्तार अब्बास नकवी

नई दिल्ली, 15 दिसंबर ( आईएएनएस): । देश में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर इन दिनों चर्चा जोरशोर से हो रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने रविवार को 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर प्रतिक्रिया दी।

देश चुनाव के चक्रव्यूह में फंसा रहता है, इसलिए 'वन नेशन-वन इलेक्शन' जरूरी : मुख्तार अब्बास नकवी
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मुख्तार अब्बास नकवी ने से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 वर्षों से अधिक समय में कई महत्वपूर्ण संवैधानिक और अन्य सुधार हुए हैं। मैं मानता हूं कि ये सुधार दशकों से लंबित थे और जो सुधार हुए हैं वह मजबूत सोच का नतीजा रहा है। इसलिए 'वन नेशन, वन इलेक्शन' समय की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि यह सुधार एक तरफ जहां हमारे संवैधानिक मूल्यों और मर्यादाओं को मजबूत करेगा, वहीं दूसरी तरफ चुनाव की व्यवस्था को सरल और बहुत ही सुचारू रूप से कराने में मददगार होगा। हर दिन कहीं लोकसभा, कहीं विधानसभा, कहीं पंचायत तो कहीं स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं। देश चुनाव के चक्रव्यूह में फंसा रहता है, इसलिए 'वन नेशन-वन इलेक्शन' जरूरी है।

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इससे पहले गिरिराज सिंह ने भी 'वन नेशन-वन इलेक्शन' को देश हित में बताया था। उन्होंने से बातचीत के दौरान कहा था कि 'एक देश-एक चुनाव' देश के हित में है। इससे विकास में कोई रुकावट नहीं आती, खर्चों में कटौती होगी और पैसे की बचत होगी। वास्तव में, यह देश को और मजबूत बनाएगा और विकास को गति देगा। अगर कहीं कुछ बदलाव होंगे, तो वह कानून के अनुसार होंगे और लोग उस पर अपनी राय देंगे।

उल्लेखनीय है कि 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' से जुड़े दो विधेयकों के प्रारूपों को मंजूरी दी गई थी। इनमें एक संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित है, जबकि दूसरा विधेयक विधानसभाओं वाले तीन केंद्र शासित प्रदेशों के एक साथ चुनाव कराने के संबंध में है।

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पहले दोनों विधेयकों को सोमवार को लोकसभा में पेश करने के लिए सदन की कार्य सूची में शामिल किया गया था, लेकिन बाद में संशोधित कार्य सूची में उन्हें जगह नहीं दी गई है। इस विधेयक की कॉपी शुक्रवार शाम ही लोकसभा के सभी सांसदों को भेज दी गई थी।

संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक है।

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Courtesy Media Group: IANS

 

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