पिछले दिनों एक महिला कारोबारी को डिजिटल अरेस्ट किया गया और संबंधित साइबर ठगों ने खुद को केंद्रीय जांच ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का अधिकारी बताते हुए उससे 1.60 करोड़ रुपए की ठगी की। साइबर ठगों ने महिला को डराया कि उसका नाम एक बड़े घोटाले में शामिल है और उसके बैंक खाते से बड़ी राशि का ट्रांसफर हुआ है। बाद में महिला ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई।
इंदौर पुलिस ने महिला की शिकायत के आधार पर पहले सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इस मामले की जांच करते हुए पुलिस ने चार अन्य युवकों को गिरफ्तार किया है, जिनके अकाउंट में पैसा आया था और जिन्होंने राशि आगे ट्रांसफर की थी।
क्राइम ब्रांच के डीसीपी राजेश त्रिपाठी ने मंगलवार को बताया कि जांच के दौरान पता चला कि सीहोर निवासी रोहन के अकाउंट में 5 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए थे, उसे गिरफ्तार किया गया। इसके बाद तीन आरोपियों को भी अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया गया, जो आरोपी पकड़े गए हैं, उनमें से कुछ छात्र हैं तो कुछ ऐसे हैं, जिन्होंने लालच में आकर अपना अकाउंट आरोपियों के हवाले किया था।
एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने एक एडवाइजरी जारी की है कि छात्र ऐसे लालच में नहीं आएं और ऐसे किसी को भी अपने अकाउंट उपलब्ध नहीं कराएं। ऐसा करके छात्र कुछ हजार रुपए के लालच में आकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं।
वर्तमान में साइबर ठग कुछ हजार रुपए में दूसरे के बैंक अकाउंट खरीद लेते है। कम पढ़े-लिखे लोगों के भी अकाउंट बैक में खोलकर ठगी की रकम को ट्रांसफर करते हैं। ऐसे में पुलिस कई मामलों में उन लोगों को गिरफ्तार कर लेती है, जिनका अपराध से सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं होता है।