जियाउर रहमान बर्क ने से कहा कि यह कोई सामान्य खुदाई नहीं है, यह खुदाई देश की एकता को तोड़ने की साजिश है। जो लोग मंदिर मिलने का दावा कर रहे हैं, वह यह भूल जाते हैं कि मुस्लिम समाज ने हमेशा शांति और भाईचारे को प्राथमिकता दी है। हम कभी भी किसी धार्मिक स्थल को तोड़कर नया धर्मस्थल नहीं बना सकते। यह गलत है और संविधान के खिलाफ है। कुछ लोग सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए देश की सामाजिक और धार्मिक एकता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। बर्क ने आरोप लगाया कि इन गतिविधियों के पीछे एक गहरी साजिश है, इसका उद्देश्य मुस्लिम समाज को बदनाम करना है।
संभल में 46 साल बाद मिले मंदिर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब 46 साल तक वहां मंदिर था, तो वहां के हिंदू समाज के लोगों ने कभी किसी मुसलमान को परेशान नहीं किया। मुस्लिम समाज ने वहां न तो किसी को डराया और न ही किसी को भगाया। यदि मंदिर वास्तव में था, तो 46 साल के अंदर उसे बदलने की कोशिश हो सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
उन्होंने मीडिया और पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ मीडिया संगठन और प्रशासन के लोग उनके समाज को बदनाम करने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे अफसोस है कि मीडिया का एक हिस्सा और पुलिस प्रशासन इस खेल का हिस्सा बन रहे हैं। यह हमारे समाज को बर्बाद करने और देश की एकता को तोड़ने का प्रयास है।
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का जिक्र करते हुए सांसद ने कहा कि इसका सम्मान किया जाना चाहिए। इस एक्ट के तहत किसी भी धार्मिक स्थल के स्थान को बदलने की अनुमति नहीं है। बर्क ने शासन और प्रशासन से आग्रह किया कि वे इस कानून का पालन करें और किसी भी ऐसे कदम से बचें, जो देश की धार्मिक एकता को प्रभावित करता हो। मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में इतिहास यह नहीं लिखेगा कि हमारे समाज और देश की एकता को तोड़ने के प्रयास में कुछ लोग शामिल थे। वर्तमान में जारी गतिविधियां गलत दिशा में जा रही हैं, और भविष्य में इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।