वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर सवाल किए जाने पर प्रमोद तिवारी ने कहा कि यह केवल देश के असल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए उठाया गया एक शिगूफा है। जब तक विपक्षी दलों का समर्थन नहीं होगा, इसे लागू नहीं किया जा सकता। इसमें संविधान संशोधन की आवश्यकता होगी और इसके लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। भाजपा के पास लोकसभा और राज्यसभा में यह बहुमत नहीं है, तो वह विपक्ष को साथ लिए बिना इसे पास नहीं कर सकते हैं। अगर इस विषय पर विपक्षी नेताओं से पहले कोई चर्चा नहीं की गई है, तो इसे केवल एक नाटक मानना चाहिए। आप इसे लोकसभा में पेश करेंगे, फिर इसे समिति के पास भेज देंगे और चर्चा चलती रहेगी, अखबारों में प्रकाशित होता रहेगा। सरकार द्वारा यह केवल राजनीतिक नाटक किया जा रहा है, ताकि असल समस्याओं से लोगों का ध्यान हटा रहे।
प्रियंका गांधी द्वारा संसद में फिलिस्तीन को समर्थन करने वाले बैग लेकर जाने पर मचे हंगामे पर तिवारी ने कहा कि इंदिरा गांधी ने भी फिलिस्तीन के समर्थन में आवाज उठाई थी, सोनिया गांधी ने भी यूपीए चेयरपर्सन रहते हुए यह रुख अपनाया था। यह देश की सरकार की नीति रही है कि हम फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में समर्थन देते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी ने भी यह रुख अपनाया था। प्रियंका गांधी ने भी वही किया, जो हमारी पार्टी और सरकार की नीति रही है। इस देश का स्टैंड स्पष्ट है और जो लोग आज भाजपा सरकार में बैठे हैं, वह बांग्लादेश, कनाडा, अमेरिका और यूरोप में भारतवासी हिंदुओं को बचाने में नाकाम रहे हैं। ये लोग कायर हैं, जो अपने देशवासियों को बचाने में असफल हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव द्वारा बहुसंख्यकों को लेकर की गई टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने और उन्हें समन भेजने पर प्रमोद तिवारी ने कहा कि मैं इस फैसले से सहमत हूं। संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को संविधान के खिलाफ नहीं बोलना चाहिए, खासकर न्यायाधीशों को। यह जरूरी है कि वह संविधान का पालन करें और संवैधानिक मूल्यों का सम्मान करें। जस्टिस यादव ने जो कुछ भी कहा है, उसमें मुझे आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन नजर आता है।